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मजदूर दिवस विशेष : जब आप सोते हैं गद्देदार बिस्तर पर, तब ये लोग सड़कों पर लगाते हैं झाड़ू

रांची : राजधानी की सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद रहे इसके लिए नगर निगम में 2200 से अधिक सफाई कर्मचारी हैं. दैनिक वेतन पर काम करनेवाले ये कर्मचारी पूर्व में केवल सुबह से लेकर शाम तक ही सफाई का कार्य करते थे. लेकिन, सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम ने रात्रि सफाई व्यवस्था शुरू […]

रांची : राजधानी की सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद रहे इसके लिए नगर निगम में 2200 से अधिक सफाई कर्मचारी हैं. दैनिक वेतन पर काम करनेवाले ये कर्मचारी पूर्व में केवल सुबह से लेकर शाम तक ही सफाई का कार्य करते थे. लेकिन, सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम ने रात्रि सफाई व्यवस्था शुरू की है. इसके तहत रोजाना रात 10 बजे से सफाई कर्मचारी सुबह छह बजे तक शहर की महत्वपूर्ण सड़कों की सफाई करते हैं. ठंड हो, गर्मी हो या फिर बारिश का मौसम हो, ये कर्मचारी निरंतर अपने सफाई अभियान में लगे रहते हैं. लेकिन, इस काम के लिए नगर निगम की ओर से इन लोगों को केवल 5600 रुपये मासिक मिलते हैं.

सफाई कर्मचारियों की पीड़ा
रांची नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की मानें, तो उन्हें शहर के नालियों की सफाई, झाड़ू लगाने व कूड़ा उठाने में कोई परेशानी नहीं है. उन्हें बस तकलीफ इस बात है कि शहरवासी उनके साथ सही तरीके से पेश नहीं आते हैं. एक दिन कूड़ा विलंब से उठाने पर लोग अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं. डस्टबीन रहने के बाद भी कूड़े को सड़क पर फेंकते हैं. सफाई कर्मचारी रवि मुंडा कहते हैं कि लोगों में भी अब जागरूकता आनी चाहिए कि लोग खुले में कूड़ा न फेंकें. जब लोग खुद ही कूड़ा यहां वहां नहीं फेंकेंगे, तो शहर खुद-ब-खुद साफ-सुथरे शहरों में शामिल हो जायेगा. श्री मुंडा यह भी कहते हैं कि जब केंद्र व राज्य सरकार सप्तम वेतनमान के तहत अपने कर्मचारियों को 50 हजार से लेकर 70 हजार तक का वेतन दे रही है, तो हम सफाई कर्मचारियों को केवल 5600 रुपये देना कहां तक उचित है? कम से कम हमारा भी वेतन 8000 रुपये तक किया जाना चाहिए.

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