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RANCHI : झारखंड के कुर्मी, तेली को ST का दर्जा देने के विरोध में आदिवासी आक्रोश महारैली, सांसदों-विधायकों को गांवों में घुसने नहीं देंगे

रांची : झारखंड में कुर्मी और तेली को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विरोध में शनिवार को राजधानी रांची में आदिवासी आक्रोश महारैली का आयोजन किया गया. जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के नेतृत्व में हरमू मैदान में आयोजित महारैली में 50 से अधिक संगठनों के हजारों आदिवासियों ने भाग लिया. जयस ने […]

रांची : झारखंड में कुर्मी और तेली को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विरोध में शनिवार को राजधानी रांची में आदिवासी आक्रोश महारैली का आयोजन किया गया. जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के नेतृत्व में हरमू मैदान में आयोजित महारैली में 50 से अधिक संगठनों के हजारों आदिवासियों ने भाग लिया.

जयस ने कहा कि जब तक कुर्मी और तेली को एसटी का दर्जा देने की विधायकों-सांसदों की अनुशंसा निरस्त नहीं हो जाती, तब तक आदिवासी समुदाय अपना विरोध-प्रदर्शनजारी रखेगा. रैली में झारखंड के 42 विधायकों व दो सांसदों द्वारा कुर्मी व तेली को एसटी का दर्जा दिये जाने की अनुशंसा का विरोध किया गया.

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जयस के झारखंड प्रभारी संजय पाहन ने कहा, ‘इस अनुशंसा के खिलाफ राज्यपाल, जनजातीय परामर्शदातृ परिषद(टीएसी), जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) व केंद्र सरकार के समक्ष विरोध दर्ज करायेंगे. उन्हें एसटी घोषित करने के लिए जरूरी अर्हता की जानकारी देंगे.’

पाहन ने कहा कि उपरोक्त सभी को यह भी बताया जायेगा कि जनजातीय शोध संस्थान ने माना है कि कुर्मी को एसटी का दर्जा नहीं दिया जा सकता. उन्हाेंने कहा, ‘नेताओं ने आदिवासियाें की पीठमें छुरा घोंपा है. समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी भूलकर ये नेता राजनीतिक लाभ के लिए दूसरे समाज की चिंता करने लगे हैं. जिन विधायकों और सांसदों ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है, उन्हें गांवों में प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा. उनका क्षेत्र में पुरजोर विरोध होगा.’

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संजय पाहन ने कहा, ‘आदिवासियों को अब तक उनकी एकजुटता की कमी के कारण ही दखल नहीं मिला था, जबकि हमारे पास कागजात (संविधान) हैं. इस महारैली ने दिखा दिया कि राज्य की सभी 32 जनजातियां एकजुट हैं. हमें मिलकर अपनी ताकत दिखानी होगी. पांचवीं अनुसूची के प्रावधान को लागू करने की मांग को लेकर अप्रैल में जयस के बैनर तले देश के एक करोड़ आदिवासी संसद का घेराव करेंगे.’

इससे पूर्व डोमन पाहन व शिबू पाहन ने आदिवासी रीति-रिवाज से पूजा कर कार्यक्रम की शुरुआत की़ लोगों ने वीर बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, सिनगी दई-कइली दई, वीर बुधू भगत व अन्य जननायकों के चित्र पर माल्यार्पण कर आदिवासियों, प्रकृति व सृष्टि की रक्षा की कामना की. कार्यक्रम को आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव, आदिवासी जन परिषद के प्रेमशाही मुंडा, सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू, आदिवासी सेना के अध्यक्ष शिवा कच्छप, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की, अजय तिर्की, डॉ मीनाक्षी मुंडा सहित कई लोगों ने संबोधित किया.

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रघुवर दास तत्काल इस्तीफा दें : इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाहन ने कहा था कि टीएसी में सिर्फ आदिवासी को सदस्य बनाने का प्रावधान है. इसलिए मुख्यमंत्री रघुवर दास को इसके अध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने मांग की कि सरना धर्म को संवैधानिक मान्यता दी जाये. जनगणना कॉलम में सरना को भी शामिल किया जाये. सरना न्यास बोर्ड के गठन की भी जयस ने मांग की है. संगठन का कहना है कि पांचवीं अनुसूची के प्रावधान व समता जजमेंट के अनुरूप अनुसूचित क्षेत्रों में खनन पट्टा सिर्फ आदिवासियों को दिया जाये.

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