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झारखंड : चार पुलिस अफसरों को पांच-पांच साल की सजा, पांकी के पारसनाथ को नक्सली बता मार डाला था

रांची : नक्सली बता कर पलामू के पारसनाथ सिंह की पुलिस की पिटाई से हुई मौत मामले में चार पुलिसकर्मियों को बुधवार को सजा सुनायी गयी. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्रा की अदालत ने दोषी पांकी के तत्कालीन डीएसपी दीनानाथ रजक, इंस्पेक्टर देवलाल प्रसाद, पांकी थाना प्रभारी सुरेंद्र प्रसाद और दारोगा रुख्सार अहमद को […]

रांची : नक्सली बता कर पलामू के पारसनाथ सिंह की पुलिस की पिटाई से हुई मौत मामले में चार पुलिसकर्मियों को बुधवार को सजा सुनायी गयी. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्रा की अदालत ने दोषी पांकी के तत्कालीन डीएसपी दीनानाथ रजक, इंस्पेक्टर देवलाल प्रसाद, पांकी थाना प्रभारी सुरेंद्र प्रसाद और दारोगा रुख्सार अहमद को सजा सुनाई. सभी को पांच-पांच साल की कैद व एक-एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनायी गयी. पीड़ित पक्ष के परिजनों को दोषी पुलिसकर्मियों द्वारा दस लाख का मुआवजा देने का आदेश भी अदालत ने दिया़.
दोषी पुलिसकर्मियों में डीएसपी दीनानाथ रजक, इंस्पेक्टर देवलाल प्रसाद और पांकी थाना प्रभारी सुरेंद्र प्रसाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं. दारोगा रुख्सार अहमद अभी नौकरी में है़ं
जुलाई 1998 में नक्सली बता कर दी गयी थी हत्या : पांकी पुलिस ने जुलाई 1998 में सिरम गांव निवासी पारसनाथ सिंह को उसके घर से गिरफ्तार किया. इसके बाद नक्सलियों के संबंध में पूछताछ कर उसकी जम कर पिटाई की गयी.
मारपीट करते हुए उसे पिपराटांड़ पुलिस चौकी लाया गया. वहां भी पूछताछ के क्रम में उसके सीने परबल्ली रख कर पिटाई की गयी, जिससे उसकी मौत हो गयी. मौत होने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया़ पुलिस ने पारसनाथ सिंह को नक्सली घोषित कर दिया. मृतक की पत्नी अहुलास देवी ने हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगायी. हाइकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आरोपियों को हाजिर होने का आदेश दिया था.
इसके बाद तत्कालीन जस्टिस एमवाई इकबाल ने इसकी जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया़ मामले को लेकर वर्ष 2001 में सीबीआइ की दिल्ली ब्रांच ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की़ जांच के बाद वर्ष 2004 में सीबीआइ ने तत्कालीन डीएसपी दीनानाथ रजक, इंस्पेक्टर देवलाल प्रसाद, थाना प्रभारी सुरेंद्र प्रसाद और सब इंस्पेक्टर रुख्सार अहमद के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.
सीबीआइ की ओर से वरीय लोक अभियोजक रवि कुमार ने पैरवी की़ अभियोजन की ओर से 27 व बचाव पक्ष की ओर से 13 गवाहों ने गवाही दी़ इस दौरान दिल्ली से आये पैरवी ऑफिसर ज्योति शंकर साह ने भी अदालत की कार्रवाई में लोक अभियोजक की मदद की़

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