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भ्रष्टाचार का लगा आरोप, झारखंड पुलिस के उपनिरीक्षक ललित कुमार से सरकार ने छीना वीरता पदक!

रांची/नयी दिल्ली: झाखंड पुलिस के उपनिरीक्षक ललित कुमार से वीरता पदक छीन लिया गया है. ललित कुमार से जून में वीरता पदक वापस लिया गया. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने तीन पुलिस अधिकारियों का वीरता पदक वापस लेने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी. इसमें ललित कुमार भी शामिल थे. […]

रांची/नयी दिल्ली: झाखंड पुलिस के उपनिरीक्षक ललित कुमार से वीरता पदक छीन लिया गया है. ललित कुमार से जून में वीरता पदक वापस लिया गया. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने तीन पुलिस अधिकारियों का वीरता पदक वापस लेने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी. इसमें ललित कुमार भी शामिल थे. उन पर भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त होने का आरोप था.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, भ्रष्टाचार एवं अन्य मामलों में संलिप्त पाये जाने के बाद तीन पुलिसकर्मियों कोदियागया वीरता पदक वापस ले लिया गया है. ये तीनों व्यक्ति हैं : मध्यप्रदेश के पूर्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) धर्मेंद्र चौधरी, पंजाब पुलिस के उपनिरीक्षक गुरमीत सिंह और झारखंड पुलिस के उपनिरीक्षक ललित कुमार.

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अधिकारी ने बताया कि धर्मेंद्र चौधरी कोदियागया पुलिस वीरता पदकसितंबरमें उनसे वापस ले लिया गया. ललित कुमार का पदक जून में और गुरमीत सिंह का पदक मई में वापस लिया गया.

उन्होंने कहा कि चौधरीकापदकवापस लिया गया, क्योंकि उन पर कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने के आरोप लगे थे. उन्हें राज्य पुलिस सेवा से पदोन्नति देकर भारतीय पुलिस सेवा में लाया गया था. चौधरी वर्ष 2002 में झाबुआ में एएसपी थे, जब उन्होंने कथित मुठभेड़ में एक वांछित अपराधी को मार गिराया था.

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शिकायत के बाद जांच के आदेश दिये. अधिकारी ने बताया कि बाद में पाया गया कि मुठभेड़ फर्जी था.

गुरमीत सिंह को वर्ष 1997 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर वीरता पदक दिया गया था. उन पर हत्या का मुकदमा चला और वर्ष 2006 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी. बाद में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

केंद्रीय गृह मंत्रालय को जुलाई, 2015 में सजा के बारे में पता चला. मामले को पंजाब सरकार के समक्ष उठाया गया, जिसने सजा की पुष्टि की और मंत्रालय को पदक वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा.

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खुफिया एजेंसियों की राय प्राप्त करने के बाद गृह मंत्रालय ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पदक वापस लेने का प्रस्ताव भेजा, जिसे महामहिम ने मंजूरी दे दी. अधिकारी ने बताया कि ललित कुमार भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त पाये गये थे.

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, वीरता पदक तब वापस ले लिया जाता है, जब पुरस्कार पाने वाला किसी अदालत से दोषी ठहराया जाता है.

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