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…तो क्या बिहार की तरह झारखंड में भी हो जायेगी शराबबंदी!

रांची : झारखंड सरकार के पूरे राज्य में सरकारी एजेंसी के द्वारा शराब बेचने के फैसले के बाद राज्य के लोगों को इस बात का डर सताने लगा है कि झारखंड में भी बिहार की तर्ज पर शराबबंदी न हो जाये. नीतीश कुमार ने बिहार में एकाएक शराबबंदी का फैसला लेने से पहले कई साल […]

रांची : झारखंड सरकार के पूरे राज्य में सरकारी एजेंसी के द्वारा शराब बेचने के फैसले के बाद राज्य के लोगों को इस बात का डर सताने लगा है कि झारखंड में भी बिहार की तर्ज पर शराबबंदी न हो जाये. नीतीश कुमार ने बिहार में एकाएक शराबबंदी का फैसला लेने से पहले कई साल तक गांव-गांव में देसी और विदेशी शराब की दुकानें खोलने की छूट दे दी थी.

इस फैसले के बाद एक गांव में कई-कई शराब की दुकानें खुल गयी थीं. गांव के खेत-खलिहान तक में खुलेआम देसी दारू की बिक्री शुरू हो गयी थी. फलस्वरूप राज्य में अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ने लगीं. बाद में महिलाअों ने जबरदस्त अभियान चलाया और सरकार से राज्य में शराबबंदी लागू करने की मांग की.

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भारतीय जनता पार्टी के साथ गंठबंधन तोड़ने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्ष 2015 का विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिल कर लड़ रहे थे. उनकी छवि पर सवाल उठाये जा रहे थे. तब नीतीश कुमार ने मास्टर कार्ड खेला और विधानसभा चुनावों में एलान कर दिया कि इस बार जीते, तो राज्य में पूर्ण शराबबंदी कर देंगे.

हालांकि, नीतीश के फैसले का कुछ हलकों में विरोध हुआ, लेकिन महिलाअों का उन्हें चुनावों में जबरदस्त समर्थन मिला. भाजपा हार गयी और राजद-जदयू-कांग्रेस का महागंठबंधन अच्छे-खासे अंतर से जीत गया. अपने वादे के मुताबिक, नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी का सख्त कानून विधानसभा में पारित किया और राज्य को ड्राइ स्टेट घोषित कर दिया.

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कानून भी ऐसा कि यदि घर में शराब या शराब की बोतल मिल जाये, तो पूरे परिवार को जेल की हवा खानी होगी. हालांकि, बाद में इस कानून के कई कड़े प्रावधानों को बदलना पड़ा, लेकिन तमाम दुश्वारियों के बावजूद शराबबंदी को वापस नहीं लिया गया. हालांकि, इससे सरकार को करीब 3500 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई.

झारखंड में सरकार के शराब बेचने के फैसले को भी इसी रूप में देखा जा रहा है. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि झारखंड में कुल 1400 शराब की दुकानें थीं. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की शराब दुकानों को बंद करने के आदेश दिये, तो झारखंड में शराब दुकानों की संख्या 1100 रह गयी.

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अब सरकार ने खुद शराब बेचने का फैसला किया है और शराब की दुकानों की संख्या 600 तक सीमित हो जायेगी, ऐसी चर्चा है. ऐसा माना जा रहा है कि धीरे-धीरे शराब की दुकानें बंद होती जायेंगी और एक वक्त आयेगा, जब झारखंड में भी बिहार की तर्ज पर एकाएक पूर्ण शराबबंदी का एलान कर दिया जायेगा. ऐसा 2019 के विधानसभा चुनावों में या उससे पहले भी हो सकता है, क्योंकि राज्य के कई जिलों में महिलाअों ने शराब के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है.

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