गोला : अतिक्रमण के दौरान तोड़े गये मकान के बाद उनमें रहने वालों का अब हाल बेहाल है. आशियाना उजड़ने के गम से लोगों के गले जहां अन्न का निवाला नहीं उतर रहा है, वहीं हाड़ कंपा देने वाली इस ठंड में अब ये लोग अपनी रात खुले आसमान के नीचे बिता रहे हैं. प्रशासनिक लापरवाही अपने चरम पर है.
गुरुवार को पूरे दिन लोगों ने घर के ढ़ाये गये मलबा पर बैठ बिताया. लोगों ने बताया कि प्रशासन द्वारा तोड़े गये मकान में रहने वाले अधिकतर लोग दलित समुदाय के हैं. इन लोगों की आजीविका डेली मार्केट पर निर्भर है. मार्केट में ये लोग रेजा-कुली, मोटिया या झाड़ू लगाकर पेट पाल रहे हैं.
गरीबों की दास्तां बस इतनी नहीं है. कई परिवार की महिलाएं ऐसी हैं जो दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा कर जीविकोपार्जन करती है. इन गरीबों के मकान तोड़ने के बाद प्रशासन को कोई अधिकारी इनकी सुध लेने अब तक नहीं पहुंचा है. इन लोगों ने बताया कि ऐसे हालात में प्रखंड-पंचायत द्वारा कोई मदद नहीं की गयी है.