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बाल श्रम से बेहाल कोयलांचल, पैसे के लालच में कोयला बेचने को मजबूर बच्चे

विकास सिन्हा कोयलांचल प्रक्षेत्र रामगढ़ में सरकारी योजनाओं के धरातल पर नहीं उतरने के कारण बाल श्रम काअभिशप्त होता जा रहा है. जो बच्चे देश का भविष्य हैं, वह कोयला चुनने में अपना समय बरबाद कर रहे हैं. माता–पिता के साथ तो बच्चे काम कर ही रहे हैं. इसके अलावा पैसों की लालच ने भी […]


विकास सिन्हा

कोयलांचल प्रक्षेत्र रामगढ़ में सरकारी योजनाओं के धरातल पर नहीं उतरने के कारण बाल श्रम काअभिशप्त होता जा रहा है. जो बच्चे देश का भविष्य हैं, वह कोयला चुनने में अपना समय बरबाद कर रहे हैं. माता–पिता के साथ तो बच्चे काम कर ही रहे हैं. इसके अलावा पैसों की लालच ने भी बच्चों को इस ओर धकेला है. रामगढ़ प्रक्षेत्र में कोयला आसानी से उपलब्ध होने के कारण कोयला चोरी कर आसपास के क्षेत्रों में बच्चे कोयला बेचते हैं, प्रत्येक छोटी टोकरी 40 रुपये के हिसाब से बेची जाती है. ऐसे में कोयलाचंल में बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ती जा रही है.


कुजू के रामनगर रेलवे साइडिंग के 10वर्षीय पवन कुमार ने बताया कि वह तीसरी में पढ़ता है. मध्य विद्यालय कुजू का वह छात्र है. उसके पिता भी कोयला चुनते हैं, जब भी उसे समय मिलता है, वह कोयला चुनने चला जाता है. स्कूल से लौट कर भी वह कोयला चुनने का काम करता है.

प्रदूषण के कारण कई लोग हैं दमा के शिकार


इसी तरह कुजू प्रक्षेत्र के आर चार नंबर के पास 250-300 लोग रहते हैं. यहां के लोगों का मुख्य काम मजदूरी व व्यवसाय करना है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोग कई लोग अस्थमा केशिकार हैं. कोल प्रदूषण का यह आलम है किशाम होते ही रात का नजारा दिखता है. चारनंबर क्षेत्र के नरेश साव सहित कई लोग अस्थमा के शिकार है. यहां न सरकारी अस्पताल की सुविधा है और न ही निजी क्लिनिक. घाटो अस्पताल है जहां वैक्सीन है लेकिन चिकित्सकों की भी काफी कमी है. कुजू प्रक्षेत्र के कुजू कोलियरी, तोरपा, साढ़-बेड़ा, आरा, करमा, सुगिया व पिंडरा आदि क्षेत्रों में बच्चे काम करते दिखते हैं. यह सभी बच्चे कोयला चुनने का ही काम करते हैं. कुजू रेलवे साइडिंग के ही रामनगर बस्ती के रहने वाले पवन कुमार, संजू, मीना जो कोयला चुनने में अपने माता-पिता की मदद करते हैं. पूछने पर बतातीहैं कि कोयला चुनने के बाद स्कूल जाती है, लेकिन मिड डे मिल खाकर घर आ जाती है.

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बच्चों पर नहीं ध्यान देती है सरकार


समाज सेवी मो एहसान कहते हैं कि कुजू प्रक्षेत्र में बाल श्रम अत्यधिक संख्या में है. कोई भी योजना बच्चों के लिए नहीं बनायी जाती है. ऐसे में बच्चों के पास कोयला चुनने के अलावाऔर कोई विकल्प नहीं होता है. पंचायतों से मिलने वाली योजनाओं का भी लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. मांडू प्रखंड में कई पंचायतों मेें तो अब तक भवन नहीं है, तो योजना क्या आकार ले पायेगा, यह सभी लोग जानते हैं. यहां के लोग नगरपालिका का टैक्स अदा करते हैं, लेकिन उन्हें सुविधा ग्रामीण स्तरकाभी नहीं मिल पाती है.

भदवा प्रक्षेत्र में रोजगार का साधन उपलब्ध नहीं है, इस कारण लोग पलायन को विवश हैं. कई बच्चे कोयला चुनने का काम करते हैं और यह कोयला बेचने को विवश हैं.


एनआर साइडिंग के सातवर्षीयशिव कुमार, मनोज भुइयां, सूरज भूइयां, विनोद भूइयां, राजन भूइयां, पूजा कुमारी, आरती, रानी, संतोष कुमार सभी कोयला चुनने का काम करते हैं.


सीसीएल के प्रभावित और विस्थापित लोगों के लिए कोल्ड डंप खोला गया, जिसमें लोगों को रोजगार मिल सके, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. यहां के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल सका. स्थानीय लोगोें को रोजगार के लिए कई संगठन व राजनीतिक दलों ने आंदोलन भी किया, लेकिन इसका कोई लाभ आम लोगों को नहीं मिला.

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अब तक नहींकियागया सर्वेक्षण


बाल श्रमिकों की संख्या व योजनाओं के जानकारी के लिए सरकारी विभाग से सूचनाधिकार के तहत सूचना मांगी गयी, तो बताया गया कि रामगढ़ जिले में बाल श्रमिकों की संख्या की सही जानकारी नहीं है, अभी सर्वेक्षण का काम चल रहा है. सर्वेक्षण के उपरांत ही कोई संख्या उपलब्ध करायी जा सकती है.हालांकि मजदूरों के लिए सरकारी योजनाएं कार्यरत है. रामगढ़ जिलें में श्रम विभाग द्वारा बाल श्रमिकों से संबंधित पुनर्वास योजना चलायी जा रही है. लेकिन पतरातू प्रखंड में बाल श्रमिकों के लिए कोई योजना नहीं देखी गयी है. इस प्रखंड क्षेत्र में भी कोयला प्रक्षेत्र में काम करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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