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भारत-रूस मैत्री का प्रतीक था पीटीपीएस

समझौता. पीटीपीएस अब पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड कहलायेगा करीब साढ़े छह हजार एकड़ भूमि में फैले पीटीपीएस की आधारशिला 13 फरवरी, 1963 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित विनोदानंद झा ने रखी थी. यहां से840 मेगावाट बिजलीउत्पादन होता था. पतरातू : पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) भारत-रूस मैत्री का एक बेहतरीन उदाहरण है. एकीकृत […]

समझौता. पीटीपीएस अब पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड कहलायेगा
करीब साढ़े छह हजार एकड़ भूमि में फैले पीटीपीएस की आधारशिला 13 फरवरी, 1963 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित विनोदानंद झा ने रखी थी. यहां से840 मेगावाट बिजलीउत्पादन होता था.
पतरातू : पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) भारत-रूस मैत्री का एक बेहतरीन उदाहरण है. एकीकृत बिहार में एक बेहतर सोच के साथ पतरातू में इसकी स्थापना हुई थी. सोच थी बिजली उत्पादन में बिहार को आत्मनिर्भर करने के साथ देश के बड़े औद्योगिक संस्थानों को बिजली देने की.
करीब साढ़े छह हजार एकड़ भूमि वाले पीटीपीएस की आधारशिला 13 फरवरी 1963 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित विनोदानंद झा ने रखी थी. यहां से 840 मेगावाट बिजली उत्पादन होता था.
पावर प्लांट के निर्माण के साथ इसकी चौहद्दी में विशालकाय डैम, कॉलोनी, व्यवसायिक बाजार, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल आदि भी बना. बेहतर सोच के साथ शुरू हुए इस प्लांट का स्वर्णिम इतिहास रहा है. लेकिन धीरे-धीरे तकनीक में पिछड़ने के कारण दिन प्रतिदिन प्लांट खस्ताहाल होता गया.
आलम यह हो गया कि विगत डेढ़ दशक के दौरान कई बार यहां से उत्पादन शून्य होता रहा है. वर्तमान में एक इकाई संख्या 10 से मात्र 80 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. यही वजह रही कि राज्य सरकार ने एनटीपीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर के तहत एक समझौता करते हुए पीटीपीएस के स्थान पर पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (पीवीयूएनएल) की स्थापना की है.
मजदूरी में विषमता समाप्त करने की मांग : झारखंड पावर वर्कर्स यूनियन के संरक्षक निरंजन लाल ने राहुल पुरवार को ज्ञापन सौंप कर पीटीपीएस के ठेका श्रमिकों की मजदूरी भुगतान की विषमता समाप्त करते हुए सेवा नियमित करने की मांग की है.
प्लांट में हुई पूजा-अर्चना
पीवीयूएनएल के अस्तित्व में आने के साथ ही अधिकारियों ने पीटीपीएस प्लांट में पूजा-अर्चना की. इसके बाद नारियल फोड़ा गया. इससे पूर्व एमडी राहुल पुरवार को प्लांट के भीतर सीआइएसएफ जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया.
कैशलेस ट्रांसफर हुआ है
पीवीयूएनएल की स्थापना में एनटीपीसी 24 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा. उसकी हिस्सेदारी 74 प्रतिशत होगी. जबकि राज्य सरकार की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत रहेगी. राज्य सरकार ने इसमें कैश का निवेश नहीं किया है. सिर्फ पीटीपीएस काे कैश लेस हस्तांतरण कर यह हिस्सेदारी प्राप्त की है.
नये प्लांट से नहीं होगा प्रदूषण
पीवीयूएनएल का पावर प्लांट एयर कूल टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. इससे प्रदूषण नहीं के बराबर होगा. इससे पानी का अनावश्यक दोहन भी नहीं होगा. कम पानी में ही काम चलता रहेगा. पावर प्लांट को पानी राज्य सरकार लिंकेज के आधार पर देगी. इसी तरह एनटीपीसी को आवंटित कोल ब्लॉक को विस्तार दिया जायेगा.
पीटीपीएस से हटेगा अवैध कब्जा
पीवीयूएनएल के अस्तित्व में आने के साथ ही पीटीपीएस में वर्षों से रह रहे व्यवसायिक प्रवृति के लोगों पर गाज गिरनी तय हो गयी है. प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल के जवाब में राहुल पुरवार ने स्पष्ट किया कि अवैध ढंग से पीटीपीएस की जमीन पर कब्जा कर रहनेवालों को हटाया जायेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लीगली रह रहे लोगों को नहीं छेड़ा जायेगा.
नहीं हटाये जायेंगे ठेका मजदूर
ठेका श्रमिकों के मामले पर प्रबंधन ने रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि फिलहाल पुराने कांट्रेक्ट को रिवाइज्ड किया गया है. ठेका श्रमिक पूर्व की तरह अपना काम करते रहेंगे.
पीएम के आने की संभावना बढ़ी
24 अप्रैल को प्रधानमंत्री चार हजार मेगावाट के पहले फेज का शिलान्यास करने पतरातू आ सकते हैं. इस बात की संभावना काफी बढ़ गयी है. जिस तेजी से केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने इस हैंड ओवर-टेक ओवर की प्रक्रिया को संपन्न कराया है, उससे यह कयास लगाया जा रहा है कि 24 को झारखंड आगमन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पतरातू आ कर पहले फेज का शिलान्यास कर सकते हैं. इस बात का संकेत केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने भी बीते शनिवार को अपने भुरकुंडा दौरे में दिया था.
रोजगार का अवसर बढ़ेगा
पीवीयूएनएल के आने से क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर खुलेंगे. कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि नौकरी व ठेका के कामों में स्थानीय लोगों व विस्थापितों को प्राथमिकता दी जायेगी. कुछ एक्सपर्ट अधिकारी ही बाहर से होंगे. इसके अलावा आसपास का क्षेत्र तेजी से विकसित होगा. इससे रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे.
नाराज हुईं विधायक, करेंगी आंदोलन
हैंड ओवर-टेक ओवर की प्रक्रिया में आमंत्रण नहीं मिलने से क्षेत्र की कांग्रेस विधायक निर्मला देवी काफी नाराज हैं. हस्तांतरण प्रक्रिया के दौरान बगैर आमंत्रण सर्किट हाउस में पहुंच कर विधायक ने अधिकारियों के समक्ष अपनी नाराजगी जाहिर की. कहा कि सब कुछ गुपचुप ढंग से हो रहा है.
विस्थापितों के खिलाफ साजिश रची जा रही है. जनता परेशान है. सर्किट हाउस के बाहर पत्रकारों के बीच उन्होंने तीन मुद्दों को रखा. इसमें विस्थापितों को न्याय दिलाने, ठेका मजदूरों को स्थायी करने व हस्तांतरण की पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक करने की मांग रखी. कहा कि यदि इन मुद्दों पर सरकार व पीवीयूएनएल के अधिकारी एक सप्ताह के अंदर अपना रूख साफ नहीं करते हैं, तो वे जनता के साथ मिल कर आंदोलन करेंगी. मौके पर पूर्व मुखिया किशोर महतो, ललन सिंह, सुजीत पटेल, कुमेल उरांव समेत कई लोग मौजूद थे.
विस्थापित संघर्ष समिति आंदोलन के मूड में
पीटीपीएस से विस्थापित 25 गांव के लोगों को मिला कर बनी विस्थापित संघर्ष समिति सोमवार के हैंड ओवर-टेक ओवर की प्रक्रिया से नाखुश है. सर्किट हाउस पहुंच कर विस्थापितों ने अधिकारियों के समक्ष अपनी नाराजगी जतायी.
कहा कि विस्थापितों को आश्वासन मिला था कि हस्तांतरण की प्रक्रिया से पूर्व एनटीपीसी के सीइओ से उनकी वार्ता करायी जायेगी. इसके साथ ही ग्रामीण एडवाइजरी कमेटी बनेगी, जो विस्थापित ग्रामीणों की समस्या के निराकरण पर काम करेगी. लेकिन सरकारी तंत्र व प्रबंधकीय लोगों ने उनके साथ विश्वासघात किया है. हम लोग बहुत जल्द बैठक कर आंदोलन की घोषणा करेंगे.

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