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पोप फ्रांसिस को रांची और डालटेनगंज धर्मप्रांत ने दी श्रद्धांजलि, बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने बताया सच्चाई, दया और प्रेम की प्रतिमूर्ति

Bishop Theodore Mascarenhas Tribute to Pope Francis: पोप फ्रांसिस के निधन पर डालटेनगंज धर्मप्रांत के बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. अपने शोक संदेश में मस्करेनहस ने कहा कि पोप फ्रांसिस सच्चाई, दया और प्रेम की प्रतिमूर्ति थे. उनकी मृत्यु ने न केवल कैथोलिक कलीसिया, बल्कि संपूर्ण मानवता को एक महान आत्मा से वंचित कर दिया है.

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Bishop Theodore Mascarenhas Tribute to Pope Francis: पोप फ्रांसिस के निधन पर डालटेनगंज और रांची धर्मप्रांत ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. डालटेनगंज धर्मप्रांत की ओर से बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने, तो रांची प्रांत की ओर से विंसेंट आईंद ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. सोमवार 21 अप्रैल को मस्करेनहस ने अपने शोक संदेश में कहा कि पोप फ्रांसिस सच्चाई, दया और प्रेम की प्रतिमूर्ति थे. उनकी मृत्यु ने न केवल कैथोलिक कलीसिया, बल्कि संपूर्ण मानवता को एक महान आत्मा से वंचित कर दिया है. बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने कहा, ‘पोप फ्रांसिस हम सबके लिए आध्यात्मिक पिता थे. एक मार्गदर्शक और सबसे बढ़कर एक ऐसे चरवाहे, जो ईश्वर की दया और करुणा को हमारे बीच जीवनित रखते थे. उनकी प्रेरणा केवल उनके शब्दों में नहीं, बल्कि उनके हर कार्य में दिखती थी.’

मस्करेनहस बोले- व्यक्तिगत जीवन में था पोप फ्रांसिस का विशेष स्थान

बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने कहा कि उनके व्यक्तिगत जीवन में पोप फ्रांसिस का विशेष स्थान रहा है. वर्ष 2014 में पोप फ्रांसिस ने ही उन्हें रांची का सहायक बिशप नियुक्त किया था. फिर वर्ष 2024 में डालटेनगंज धर्मप्रांत का बिशप की महान जिम्मेदारी भी उन्होंने ही सौंपी. मस्करेनहस कहते हैं कि यह केवल एक नियुक्ति नहीं थी. यह एक पिता द्वारा अपने पुत्र पर किया गया विश्वास था, जिसे उन्होंने (बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने) आभार के साथ स्वीकार किया.

‘पोप ने सिखाया- कलीसिया को दयालु माता बनना चाहिए’

बिशप थियोडोर मस्करेनहस ने अपने शोक संदेश में आगे कहा है, ‘हमारे धर्मप्रांत के विश्वासियों को भी संत पापा फ्रांसिस की शिक्षाओं और दृष्टिकोण ने गहराई से प्रभावित किया है. उन्होंने हमें सिखाया कि कलीसिया को एक दयालु माता बनना चाहिए, जो सबके लिए अपने द्वार खोलती है. विशेषकर उन लोगों के लिए, जो पीड़ा, दुख और अस्वीकृति के अंधकार में जी रहे हैं.’

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हास्य से भरे रहते थे पोप फ्रांसिस – बिशप थियोडोर मस्करेनहस

पोप फ्रांसिस को याद करते हुए बिशप थियोडोर मस्करेनहस कहते हैं, ‘मैंने स्वयं उन्हें कई बार करीब से अनुभव किया. वे बड़े ध्यान से सुनते थे. सादगी सो बोलते थे और हास्य से भरे रहते थे. औपचारिकता की दीवार तोड़कर वे सीधे दिल से संवाद करते थे. यही उनकी सबसे बड़ी शक्ति थी. वे हमें दिखा गये कि एक चरवाहा अपने झुंड से दूर नहीं होता, उनके साथ चलता है. उनकी पीड़ा को महसूस करता है और प्रेम से उनका मार्गदर्शन करता है.’

रांची के आर्कबिशप ने भी पोप को दी श्रद्धांजलि

पोप के निधन पर रांची के आर्कबिशप विंसेंट आईंद ने भी शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद पर आसानी पोप फ्रांसिस 88 साल की उम्र में हम सबको छोड़कर चले गये. आईंद ने कहा है कि पोप प्रांसिस अपना शरीर त्यागकर संतों और देवदूतों के स्वर्ग में लौट सकें. उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर पोप फ्रांसिस की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना चाहिए.

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