नावाबाजार : देश के 115 पिछड़े जिलों में शामिल पलामू में विकास की गति रफ्तार पकड़े, इसकी चर्चा हो रही है. लेकिन जो राशि पिछड़ेपन को दूर करने के लिए खर्च की जा रही है, उसका कितना सदुपयोग हो रहा है यह भी गौर करने लायक है. पलामू में जो नवसृजित प्रखंड है, जिनका गठन झारखंड राज्य के निर्माण के बाद हुआ है.
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बन रहे हैं भवन, करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, पर नहीं हो रहा है उपयोग
नावाबाजार : देश के 115 पिछड़े जिलों में शामिल पलामू में विकास की गति रफ्तार पकड़े, इसकी चर्चा हो रही है. लेकिन जो राशि पिछड़ेपन को दूर करने के लिए खर्च की जा रही है, उसका कितना सदुपयोग हो रहा है यह भी गौर करने लायक है. पलामू में जो नवसृजित प्रखंड है, जिनका गठन […]
उन प्रखंडों में आधारभूत संरचना के विकास के नाम पर करोड़ों खर्च हुए हैं. खास तौर पर लाखों- करोड़ों रुपये की लागत से बड़े – बड़े भवन बने हैं. लेकिन उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. उपयोग नहीं होने और उचित देखरेख के अभाव में उपयोग के पहले ही भवन जर्जर हो रहे हैं.
यह किसी एक प्रखंड की समस्या नहीं. बल्कि गौर किया जाये तो कमोबेश ऐसी स्थिति नये प्रखंडों की है. ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है. एनएच 98 के बगल में स्थित नावाबाजार की समस्या पर गौर किया जाये, तो यहां भी कई सरकारी भवन बनकर तैयार है या वर्षों पहले बन चुका है उसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है.
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इन भवनों की जरूरत नहीं थी. यदि जरूरत थी तो निर्माण के बाद उपयोग क्यों नहीं हुआ. या फिर बिना जरूरत के निर्माण हुआ, तो सरकारी राशि जो खर्च हुई, उसके लिए जिम्मेवार कौन है. नाबाबाजार 2009 में विश्रामपुर से अलग होकर नया प्रखंड बना है. यहां भी कई सरकारी भवन बनकर तैयार है, पर उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है.
करीब दो करोड़ के लागत से इटको मोड़ के पास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन बना है. करीब आठ माह पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने इस भवन का उद्घाटन किया था. लेकिन उद्घाटन के बाद अभी तक इस भवन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है. इस तरह नावाबाजार उच्च विद्यालय का भवन का निर्माण वित्त वर्ष 2016-17 में हुआ है. इसकी लागत लगभग 80 लाख रुपये है. भवन बने लगभग तीन साल पूरे होने को है.
लेकिन अभी तक इस भवन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है. जबकि भवन निर्माण पूरा होने के बाद भी बच्चों की पढ़ाई मध्य विद्यालय भवन में ही हो रही है. कारण क्या है, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. दो साल पहले 20 लाख से अधिक लागत से तहसील भवन का निर्माण हुआ है. इस भवन का भी कोई उपयोग नहीं हो रहा है. लोगों का कहना है कि देखरेख के अभाव में भवन धीरे -धीरे जर्जर हो रहा है.
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