लोहरदगा़ श्री हरी वनवासी विकास समिति द्वारा संचालित रामकली देवी सरस्वती शिशु मंदिर पावरगंज में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती एवं जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के अध्यक्ष वीरेंद्र मित्तल और प्रधानाध्यापिका सुधा देवी ने दीप प्रज्वलित कर तथा पुष्प अर्पित कर की. अध्यक्ष वीरेंद्र मित्तल ने कहा कि 15 नवंबर का दिन झारखंड के लिए आस्था, गौरव और प्रेरणा का पर्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2021 में भगवान बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया गया, जो आज आदिवासी अस्मिता और संघर्ष की पहचान बन चुका है. उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की विचारधारा नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है. उनके सपनों का झारखंड तभी संभव है जब हम उनके सिद्धांतों को अपनायें. अल्पायु में समाज को नयी दिशा देने और अद्वितीय संघर्ष के कारण उन्हें ‘भगवान’ की उपाधि मिली. भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से जमकर संघर्ष किया : आचार्य सुधांशु कुमार ने कहा कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से जमकर संघर्ष किया. प्रारंभ से ही उनके मन में अंग्रेजी शासन के प्रति विद्रोह था, क्योंकि अंग्रेज हमेशा शोषण करते थे और महिलाओं-बच्चों पर अत्याचार करते थे. जनजातीय गौरव दिवस पर हम सभी आदिवासी महापुरुषों के संघर्ष और बलिदान को याद करते हैं तथा उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं. आचार्य जनार्दन सिंह ने बिरसा मुंडा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बहुत कम उम्र में ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ नेतृत्व किया. वे जंगल, पेड़-पौधों और प्रकृति की रक्षा के प्रतीक थे. बिरसा मुंडा झारखंड की अस्मिता, संघर्ष और सांस्कृतिक चेतना के ध्वजवाहक हैं. राज्य स्थापना दिवस हमें झारखंड की पहचान और आदिवासी समाज की गौरवशाली विरासत को समझने का अवसर प्रदान करता है. उन्होंने विद्यार्थियों से राज्य की संस्कृति, मूल्य और सामाजिक जिम्मेदारियों को अपनाते हुए आगे बढ़ने का आह्वान किया. प्रधानाध्यापिका सुधा देवी ने कहा कि बिरसा मुंडा आदिवासी नायकों के शौर्य और बलिदान के प्रतीक हैं तथा जनजातीय गौरव की धरोहर के रूप में पूजनीय हैं. कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चे धरती आबा बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू और जतरा भगत के वेश-भूषा में उपस्थित थे, जिसने कार्यक्रम की शोभा बढ़ा दी. इस अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य, आचार्या और बच्चे मौजूद थे.
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