बेतला़ बरवाडीह प्रखंड स्थित बेतला के कुटमू गांव स्थित कुल्ही चेकडैम टूट जाने से किसानों काे बड़ा नुकसान हुआ है. इस बांध के टूटने से किसानों के अच्छी खेती के सपने भी टूट गये हैं. इससे करीब 500 एकड़ भूमि में होने वाली खेती प्रभावित हुई है. बांध टूटने से धान की खेती पर तो असर पड़ा ही है अब रबी फसलों की खेती पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा. जिससे किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है. सोमवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम में कुटमू के किसानों ने अपनी पीड़ा बतायी. लोगों ने कहा कि करीब चार महीने पहले 29 जून को हुई बारिश से यह चेकडैम टूट गया है. दरअसल भारी बारिश के कारण बांध पर पानी का दबाव इतना ज्यादा हो गया था कि वह टूट गया. बेतला नेशनल पार्क से सटे कुटमू गांव का यह चेकडैम काफी पुराना था. 1994-95 में चेतना मंच ने इस चेकडैम का निर्माण कराया था. बांध में सालों भर पानी भरा रहता था. सूखे की स्थिति बन जाने पर भी किसान इस चेकडैम के सहारे अपनी भूमि में आसानी से खेती कर लेते थे. इस चेकडैम में जो पानी जमा होता था उसके कारण कुटमू सहित आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों में जमीन के नीचे पानी का जलस्तर बना रहता था. लोगों को चिंता सता रही है कि चेकडैम नहीं रहने से इन गांवों का जलस्तर काफी नीचे चला जायेगा. वहीं, बांध में पानी जमा होने के कारण आसपास के करीब 2000 से अधिक मवेशी जहां पानी पीते थे वहीं बेतला नेशनल पार्क के जंगली जानवरों को भी इससे पानी मिलता था. समय पर बांध की मरम्मत नहीं होने से यह परेशानी हुई है : कुटमू गांव के किसान देनी सिंह ने कहा कि धीरे-धीरे यह चेकडैम लगातार कमजोर होता जा रहा था. सही समय पर बांध की मरम्मत नहीं होने के कारण भारी बारिश के बाद बने पानी के दबाव को यह झेल नहीं पाया औरे बांध का एक हिस्सा टूट गया. चेकडैम टूटने से सब कुछ बर्बाद हो गया : किसान रविंद्र सिंह ने कहा कि चेकडैम टूटने से सब कुछ बर्बाद हो गया है. अब खेती कैसे करेंगे यह पता ही नहीं चल पा रहा है. यह चेकडैम इस इलाके के लिए काफी महत्वपूर्ण था. चेकडैम के टूटने से सैकड़ों एकड़ के फसल को नुकसान पहुंचेगा. चेकडैम मछली उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त था : कुटमू गांव के अजय कुमार ने कहा कि यह चेकडैम मछली उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त था. काफी मात्रा में मछली का उत्पादन इस बांध से होता था़ चेकडैम टूटने से मछली का उत्पादन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. लोग मछली के लिए अब अन्य जगहों पर आश्रित हो गये हैं. चेकडैम मवेशियों के लिए काफी महत्वपूर्ण था : विक्रम कुमार ने कहा कि यह चेकडैम आसपास के हजारों मवेशियों के लिए काफी महत्वपूर्ण था. दो दर्जन से अधिक गांव के मवेशी इस बांध के आसपास चरते हैं और प्यास लगने पर पानी पीते थे. पर अब उन्हें समस्या का सामना करना पड़ेगा. खासकर गर्मियों में काफी परेशानी होगी. प्रशासन को इस पर अविलंब ध्यान देने की जरूरत : पूर्व उप मुखिया जय प्रकाश रजक ने कहा कि यह चेकडैम इलाके के लिए जीवनदायक था. प्रशासन को इस पर अविलंब ध्यान देने की जरूरत है. ताकि रबी की फसल की खेती हो सके और गर्मियों में भी परेशानी नहीं हो. इलाके का जलस्तर काफी नीचे जाने की आशंका : मुखिया मंजू देवी ने कहा कि कुल्ही चेकडैम के टूट जाने से इलाके का जलस्तर काफी नीचे चले जाने की आशंका है. चेकडैम के कारण वर्ष भर 30 से 40 फीट तक पानी रहता था. इस कारण पूरा इलाका खुशहाल रहता था लेकिन अब काफी परेशानी होगी. मामले से वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

