महुआडांड़़ प्रखंड के मिरगी गांव से चीरोपाठ को जोड़ने वाली छह किलोमीटर सड़क कई सालों से अधूरी पड़ी है. वन विभाग की आपत्तियों के कारण सड़क निर्माण बार-बार रुक जाता है. इसका असर दोनों गांव के ग्रामीणों पर पड़ रहा है. छह किलोमीटर की सीधी दूरी तय करने के बजाय लोगों को रोज लगभग 32 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. इससे समय के साथ-साथ रुपये की बर्बादी हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क बन जाये तो महुआडांड़ और चीरोपाठ की दूरी घटकर केवल 15 किलोमीटर रह जायेगी. इससे स्कूल, अस्पताल, बाजार और सरकारी दफ्तरों तक पहुंचना बेहद आसान होगा. फिलहाल बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों और छात्रों को लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है, जो बड़ी परेशानी बन गया है. ग्रामीणों ने कहा कि सड़क निर्माण में सबसे बड़ी बाधा वन विभाग बन गया है. जैसे ही एजेंसी काम शुरू करती है, विभाग वन भूमि का हवाला देकर निर्माण रोक देता है. लोगों का कहना है कि वन विभाग न तो खुद सड़क बनाती है और न किसी अन्य को बनाने देती है. जिसके कारण वर्षों से विकास पूरी तरह ठप है. बरसात के समय समस्या और गंभीर हो जाती है. कच्चा रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है और कई स्थानों पर पानी भरने से रास्ता बंद जैसा हो जाता है. ऐसे में बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना बेहद कठिन हो जाता है. इस मामले में वनपाल कुवर गंझू ने कहा कि विभाग ग्रामीणों की परेशानियों से अवगत है और समाधान के लिए प्रयास जारी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

