लातेहार ़ जिले में लंबित वनाधिकार दावों की मांग को लेकर बुधवार को बरवाडीह अंचल के सीओ लवकेश की उपस्थिति में अंचल वार दावा अभिलेखों की जांच की गयी. इसमें करीब 25 सामुदायिक और 70 से अधिक व्यक्तिगत दावा अभिलेखों का राजस्व कर्मचारियों और वनपालों ने अवलोकन किया. अभिलेखों में आंशिक तौर पर ग्राम सभा का कोरम पूर्ण न होना, दावा प्रपत्रों में खाता संख्या, प्लाट संख्या और रकबा अंकित न होना, तथा भौतिक सत्यापन के लिए दूसरी सूचना की पावती संलग्न न होना जैसी त्रुटियां पायी गयीं. व्यक्तिगत और सामूहिक दावों में वन विभाग के कर्मियों ने अपने मंतव्य में लिखा कि यह क्षेत्र पलामू टाइगर रिजर्व में आता है और पूरी ग्राम सभा को अधिकार देने से वन्य जीवों के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है. जांच के दौरान यह भी सामने आया कि ग्राम सभा की बैठक में अधिकांश वनपाल उपस्थित नहीं थे, लेकिन बाद में अपने रिकॉर्ड मंगवाकर मंतव्य लिख डाले, जो वन अधिकार नियम का उल्लंघन है. बरवाडीह अंचल के तहत ततहा, खुरा, हेन्देहास, रमनदाग, सुखलकट्ठा, कूटकु, लाभर, लादी, बरखेता, मुरु, हरहे, पुटवागढ़, सेरेनदाग, होसिर, हरिनामाड़, ओपाग, बढ़निया, रबदी, लुपुंगखाड़, आखरा, डोरामी, होरीलौंग, बेतला आदि गांवों के दावों का अवलोकन किया गया. व्यवहारिक रूप से एक दिन में 100 से अधिक दस्तावेजों की जांच नहीं की जा सकती. बरवाडीह अंचल में अकेले 300 से अधिक व्यक्तिगत और सामुदायिक दावे विचाराधीन हैं. अभिलेखों की जांच में विशेषज्ञ धोती फादर, सेलेस्टीन कुजूर, गणेश सिंह और बालकी सिंह, संबंधित राजस्व कर्मचारी, वनपाल तथा दावा अभिलेख और वन अधिकार समितियों के अध्यक्ष और सचिव उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

