महुआडांड़़ कुर्मी-कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग किये जाने के विरोध में रविवार को आदिवासी एकता मंच के बैनर तले आदिवासी आक्रोश महारैली निकाली गयी. रैली में प्रखंड व आसपास के क्षेत्रों से पहुंचे काफी संख्या में आदिवासी महिला-पुरुष शामिल हुए. रैली शहीद चौक, शास्त्री चौक बिरसा मुंडा चौक होते हुए अनुमंडल कार्यालय तक गयी. इसमें शामिल पुरुष और महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा सरना झंडा लिए साथ ही हाथों में तख्तियां लिये चल रहे थे. रैली में आदिवासियों की हकमारी बंद करो, संविधान को छेड़ना बंद करो, एसटी सूची मे घुसपैठ करना बंद करो, कुरमी-महतो एसटी का दर्जा मांगना बंद करो, एक तीर एक कमान सभी आदिवासी एक समान का नारा लगाया गया. रैली अनुमंडल कार्यालय मैदान पहुचंने के बाद महासभा में तब्दील हो गयी. मौके पर आदिवासी एक्टिविस्ट और लेखक ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि हमारे पुरखों ने तीर-धनुष से लड़ाई लड़ी थी, हम कागज-कलम से लड़ेंगे. शशि पन्ना ने कहा कि कुड़मियों के मन में आदिवासी बनने का विचार हाल के कुछ वर्षों से ही आया है, इसके पीछे उनकी राजनीतिक मंशा है. सभा को मनीना कुजूर व सत्यप्रकाश हुरहुरिया समेत कई वक्ताओं ने संबाेधित किया. सभा का संचालन अजीतपाल कुजूर ने किया. सभा के अंत में राष्ट्रपति के नाम पर बीडीओ को ज्ञापन सौंपा गया. मौके पर ज्योत्सना केरकेट्टा, राकेश बड़ाइक, जिप सदस्य इस्तेला नगेशिया, प्रमुख कंचन कुजूर, फादर दिलीप एक्का समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.
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