बेतला़ मोंथा चक्रवात के कारण पिछले चार दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश से किसानों के मेहनत पर पानी फिर गया है. बारिश और तेज हवाओं के कारण धान की तैयार फसल को भारी नुकसान हुआ है. इसके अलावा आलू, टमाटर, भिंडी, बैंगन, धनिया, पालक, चना जैसी फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है. इस वर्ष अच्छी वर्षा के कारण किसान खुश थे. धान की खेती भी भरपूर हुई थी, लेकिन मोंथा कहर बनकर टूटा है. इससे हजारों किसानों की कमर टूट गयी है. बारिश से धान की 40 से 50 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो गयी है. खेतों में लगाये गये आलू के बीज सड़ने लगे हैं. साल भर की मेहनत की कमाई और पूंजी डूब गयी : कंचनपुर गांव के किसान गुलाब सिंह ने कहा कि उनकी साल भर की मेहनत की कमाई और पूंजी डूब गयी है. इस वर्ष अच्छी बारिश होने के कारण उन्हें उम्मीद थी कि काफी अधिक धान की उपज होगी. लेकिन उनका सपना चकनाचूर हो गया है. अधिकांश फसल बर्बाद हो गया है : किसान मानदेव सिंह ने कहा कि इस तूफानी बारिश से फसल को लाभ के बजाय नुकसान हो रहा है. धान की लहलहाती फसल खेतों में गिर गये हैं. अधिकांश फसल बर्बाद हो गया है इस कारण उनकी चिंता बढ़ गयी है बारिश से उम्मीद टूट गयी है : कुटमू के किसान दशरथ सिंह ने कहा कि एकमात्र धान की फसल ही हमारे जीने का सबसे बड़ा आधार है. लेकिन बारिश की कहर ने हमसे वह भी छिन लिया है. इस वर्ष मकई नहीं हुआ था, उम्मीद थी कि धान से उसकी भरपाई होगी लेकिन अब वह उम्मीद भी टूट गयी है़ सरकार मुआवजा मुहैया कराये : हड़पड़वा के किसान सिद्धेश्वर पासवान ने कहा कि बारिश ने किसानों की कमर को तोड़ दी है. सरकार फसलों के हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए जल्द से जल्द मुआवजा मुहैया कराये ताकि जो भी सरकारी मदद मिलेगी उसे दूसरे फसलों को उपजाने में लगाया जा सके और गुजर बसर हो सके.
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