नारायणपुर. प्रखंड के दक्षिणीडीह गांव में नौ दिवसीय महायज्ञ के चौथे दिन भगवान श्रीराम की कथा सुनाई गयी. कथावाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा बसंत ऋतु चल रहा है. प्रभु श्रीराम के स्मरण का पावन महीना है. नए हरे पत्तों और फूलों से सजी प्रकृति को देख कर सहज ही समझ में आ जाता है कि यह मास बहुत ही सुहावना है. युगों-युगों तक महाराज इक्ष्वाकु के कुल ने तपस्या की, तब उनके आंगन में राम उतरे थे. महाराज मनु और सतरूपा से लेकर हरिश्चंद्र, रोहित, सगर, भगीरथ, रघु, दिलीप और भी अनेक तपस्वियों की तपस्या का प्रतिफल राम के रूप में मिला, जब असंख्य पीढ़ी के पूर्वजों के सत्कर्मों का फल और आने वाली असंख्य पीढियों का सौभाग्य जागृत होता है, तब किसी सौभाग्यवती कौशल्या की गोद में राम उतरते हैं. शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि राम को समझना है तो पहले महाराज दशरथ और माता कौशल्या को समझें. पिता एक बड़े साम्राज्य के शासक होने के बाद भी राजा की तरह नहीं, एक संत की तरह जीवनयापन करते हैं. माता महारानी होने के बाद भी महारानी की तरह नहीं, सुमित्रा और कैकेयी की सहयोगी बन कर जीती है. माता-पिता की यही सहजता ही पुत्र को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाती है. रामत्व को प्राप्त करने के लिए मनुष्य का सहज होना आवश्यक है. कथा है कि देवासुर संग्राम में महाराज दशरथ रानी कैकयी को भी अपने साथ ले गए थे, जहां उन्होंने युद्ध में उनकी बहुत सहायता की थी. प्रसन्न होकर महाराज ने उन्हें दो वरदान देने की बात कही थी. एक महारानी का युद्धभूमि में जाना स्वयं में एक बहुत बड़ी घटना है. अपने राजकीय कर्तव्य के प्रति ऐसा समर्पण कि अपनी पत्नी तक को युद्धभूमि में भेज दिया जाए यह अद्भुत ही है. विश्व इतिहास में ऐसे उदाहरण अन्यत्र नहीं मिलते हैं. तुलसी बाबा ने रामजन्म के लिए लिखा है कि विप्र धेनु सुर सन्त हित लीन्ह मनुज अवतार संतान का चरित्र लगभग वैसा ही होता है जैसा उनके पूर्वजों का होता है. राम के पूर्वजों में सदैव से विप्र, धेनु, सुर और संत की रक्षा की भावना प्रबल रही थी. धेनु की रक्षा के लिए महाराज दिलीप ने सिंह को स्वयं के शरीर का मांस तक दे दिया था. सुर (देवता) की सहायता के लिए स्वयं महाराज दशरथ लड़े थे. तभी श्रीराम अपने जीवन में इन गुणों को सरलता से उतार सके. हम अपनी संतान में जो गुण देखना चाहते हैं, हमें पहले उन गुणों को अपने अंदर धारण करना चाहिए. तभी संतान गुणवान होते हैं. वहीं कथा श्रवण के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

