जामताड़ा. जामताड़ा रेलवे साइडिंग से ईसीएल चितरा का कोयला अनलोड कर लौट रहा डंपर मंगलवार को अनियंत्रित हो गया. तेज रफ्तार यह खटारा हो चुका डंपर (जेएच 10 सीके 4908) जो भी सामने आता गया, उसे ही टक्कर मारकर आगे बढ़ता रहा. इस दौरान डंपर की चपेट में आकर चार बाइक क्षतिग्रस्त हो गयी और आखिरकार डंपर एक मैकेनिक की दुकान में टक्कर मारकर रुका. इस दौरान वहां मौजूद लोगों के बीच कोहराम मच गया और डंपर को अपनी ओर आता देख इधर-उधर भागकर लोगों ने अपनी जान बचायी. गनीमत रही कि मौके पर मौजूद कई लोग डंपर की चपेट में आने से बच गए. मौके पर मौजूद चश्मदीदों के अनुसार डंपर चालक नशे की हालत में था और डंपर इतना ज्यादा अनफिट हो चुका है कि तेज रफ्तार में उसपर नियंत्रण रखना भी संभव नहीं हो पा रहा था. घटना के बीच मची अफरा-तफरी के बीच मौके पर लोगों की भीड़ जुटती देख वहां पहुंचे अन्य डंपर चालकों के प्रयास से पुलिस के आने से पहले मामले को सुलझा लिया गया. साथ ही टक्कर मारने वाले डंपर को मौके से हटा दिया गया. घटना मंगलवार दोपहर बाद उदलबनी की है.
ईसीएल से कोयला परिवहन में लगे 233 में 226 डंपर अनफिट :
जानकारी के अनुसार के वर्तमान में ईसीएल चितरा की खदानों से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक 233 डंपरों के जरिए कोयले का परिवहन रोजाना हो रहा है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि इनमें से मात्र सात ही डंपर कागजी रूप से फिट हैं. 226 अनफिट डंपरों को हटाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पहले पत्र जारी किया जा चुका है. लेकिन ट्रांसपोर्टर, ईसीएल प्रबंधन और डंपर एसोसिएशन की जुगलबंदी से अनफिट खटारा डंपरों के जरिए ही रोजाना हजारों टन कोयला सड़क पर लोगों की जान जोखिम में डालकर जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक ढोया जा रहा है. ऐसे में इन अनफिट डंपरों के परिचालन से जहां एक ओर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है, वहीं इसके परिचालन के दौरान हो रहे प्रदूषण की वजह से उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. वहीं डंपर इतने पुराने हो चुके हैं कि कभी भी यह सड़क पर लोगों की जान ले सकता है.
अनफिट डंपरों की चपेट में आकर हो चुकी है कई मौतें :
चितरा कोलियरी से चलने के बाद ये अनफिट डंपर साहिबगंज-गोविंदपुर हाईवे से चपुड़िया और धतुला मोड़ के रास्ते जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक पहुंचते हैं. लेकिन डंपरों की कंडीशन सही ना होने की वजह से पिछले एक साल के दौरान ही इन डंपरों की चपेट में आकर कई लोगों की जान जा चुकी है. पिछले साल चुनाव ड्यूटी की ट्रेनिंग से लौटने के दौरान एक महिला शिक्षिका की मौत हो गयी थी. जबकि साहिबगंज-गोविंदपुर हाईवे पर ही तीन बच्चे और दो युवक बाइक सवार युवकों की मौत पिछले एक साल के दौरान इन डंपरों की चपेट में आकर हो चुकी है. जबकि दर्जनभर से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं.
मानकों की सीधे तौर पर हो रही अनदेखी :
खटारा हो चुके डंपरों के जरिए हो रहे परिचालन के दौरान ट्रांसपोर्टर की ओर से खुलेआम नियमों व कायदे-कानून की धज्जियां उड़ायी जा रही है. ना तो इसके परिचालन के दौरान कोयले से लदे डाले को तिरपाल से ढंका जा रहा है और ना ही साइडिंग के आसपास प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही कदम उठाए जा रहे हैं. बताया जाता है कि ट्रांसपोर्ट एजेंसी को रोजाना ही यहां परिचालन के दौरान सड़क पर धूल ना उड़े, इसके लिए पानी का छिड़काव करवाना है. इसके लिए एजेंसी को अलग से फंड भी मुहैया करवाया जाता है. बावजूद इसके पानी का छिड़काव सिर्फ कभी-कभार पदाधिकारियों के आने की सूचना पर ही किया जाता है.
क्या कहते हैं डीटीओ :
चितरा ईसीएल प्रबंधन को फिट डंपर से ही काेयले की ढुलाई करने का निर्देश जिला प्रशासन की ओर से दिया गया है. इसके बावजूद अनफिट डंपरों से काेयले की ढुलाई की जा रही है, तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.– प्रवीण चौधरी, डीटीओ, जामताड़ा.B
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

