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छह दिन बाद पांच राज्यों में होगी बिजली कटौती!

ईसीएल से नहीं मिल रहा फरक्का को कोयला कोयले के अभाव में एनटीपीसी की कई यूनिटें बंद होने के कगार पर फरक्का से 2100 मेगावाट प्रतिदिन होता है बिजली का उत्पादन ईसीएल से प्रतिदिन पांच रैक की बजाय मात्र एक रैक कोयला मिल रहा है एनटीपीसी फरक्का को महगामा/बोआरीजोर : छह दिनों बाद झारखंड, बिहार, […]

ईसीएल से नहीं मिल रहा फरक्का को कोयला
कोयले के अभाव में एनटीपीसी की कई यूनिटें बंद होने के कगार पर
फरक्का से 2100 मेगावाट प्रतिदिन होता है बिजली का उत्पादन
ईसीएल से प्रतिदिन पांच रैक की बजाय मात्र एक रैक कोयला मिल रहा है एनटीपीसी फरक्का को
महगामा/बोआरीजोर : छह दिनों बाद झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं असम में बिजली संकट गहरा जायेगा. फरक्का एनटीपीसी को राजमहल परियोजना से प्रतिदिन पांच रैक कोयला (15 हजार मीट्रिक टन) की जरूरत है. जबकि इसीएल से महज एक रैक (तीन हजार मीट्रिक टन) की आपूर्ति हो रही है.
इस आशय की जानकारी महगामा के राजमहल हाउस में एनटीपीसी फरक्का के अपर महाप्रबंधक बीके झा, महाप्रबंधक डीडी मंडल, उप महाप्रबंधक श्याम सुंदर सिन्हा, जनसंपर्क अधिकारी सैवाल घोष, लोडिंग प्वांइट के अवधेश कुमार मिश्रा ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर दी. अधिकारियों ने बताया कि फरक्का पावर प्लांट के पास मात्र छह दिनों का ही स्टाॅक है. सवा दो लाख टन कोयला स्टाॅक में है. प्रतिदिन पावर प्लांट से 2100 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. बताया कि फरक्का एनटीपीसीपी को प्रतिदिन 9 से 10 रैक कोयले की जरूरत है.
पहले इसीएल से पांच रैक कोयला प्रतिदिन भेजा जाता था, जो अब घट कर एक रैक हो गया है. कोयले के स्टाॅक के कारण फरक्का के कई यूनिटें बंद होने की स्थिति में हैं. बताया कि अप्रैल से जून तक फरक्का कोयला का स्टाॅक बरसात के समय में होनेवाली बड़ी परेशानी को लेकर किया जाता था. महाप्रबंधक ने बताया कि फरक्का को प्रति दिन 32 से 35 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है.
कोयला का सबसे बड़ा स्रोत राजमहल कोल परियोजना है. इस परियोजना से मात्र तीन हजार मीट्रिक टन कोयला का एक रैक भेजा जा रहा है. जबकि प्रतिदिन पांच रैक की जरूरत है. बिजली की आपूर्ति नौ प्रतिशत से घट कर दो प्रतिशत रह जायेगी.

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