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बच्चों को दी जायेगी रोटा वाइरस की वैक्सीन

जामताड़ा : सदर अस्पताल स्थित सीएस कार्यालय के सभा कक्ष में सोमवार को सिविल सर्जन डॉ बीके साहा की अध्यक्षता में जिला स्तरीय रोटा वायरस का एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ़ मौके पर सीएस डॉ साहा ने कहा कि राज्य सरकार का निर्देश है कि जिला के सभी छह, दस एवं चौदह वर्ष के […]

जामताड़ा : सदर अस्पताल स्थित सीएस कार्यालय के सभा कक्ष में सोमवार को सिविल सर्जन डॉ बीके साहा की अध्यक्षता में जिला स्तरीय रोटा वायरस का एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ़ मौके पर सीएस डॉ साहा ने कहा कि राज्य सरकार का निर्देश है कि जिला के सभी छह, दस एवं चौदह वर्ष के बच्चों को रोटा वायरस की वैक्सीन दी जायेगी. कहा यह वायरस पोलियो की वैक्सीन की तरह दी जायेगी. बच्चों में किसी प्रकार का साइड इफैक्ट नहीं होगा़ मौके पर डॉ शुभाशीष भंडारी, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ डीके अखोरी, डॉ एसके मिश्रा, डॉ डीसी मुंशी, डीपीएम दीपक कुमार गुप्ता सहित अन्य मौजूद थे़

रोटावायरस के लक्षण : बच्चों को बुखार लगना, जी मचलना, उलटी होना, मांस पेशियां का अकड़ना और दस्त होना इनका मुख्य लक्षण माना जाता है़ इसके अलावे बच्चों का नाक बहना, कफ होना भी इनके लक्षण है़ कभी-कभी रोटावाइरस की वजह से होने वाले दस्त इतने गंभीर होते हैं कि उस से बहुत कम समय में ही शरीर में पानी की कमी हो जाती है.
क्या है रोटा वाइरस
रोटावाइरस छोटे बच्चों में अतिसार का प्रमुख कारण है़ यह डबल स्ट्रैंथ आरएनए विषाणु की एक जाति है़ लगभग पांच वर्ष की आयु में विश्व के लगभग सभी बच्चे रोटावायरस से कम से कम एक बार संक्रमित होते है़ं टीके के विकास के पहले, यूनाइटेट स्टेटस में ज्यादातर पांच साल के उम्र के बच्चे रोटावायरस जैसी बीमारी से कम लड़ पाते है़ इसे रोकने के लिए अतिरिक्त तरल पदार्थ का सेवन कर सकते हैं. कभी-कभी गंभीर निर्जलीकरण के लिए अस्पताल में नस द्वारा तरल पदार्थ देने की आवश्वकता होती है़ निर्जलीकरण रोटावायरस एक गंभीर जटिलता है और विकासशील देशों में बच्चों की मौतों का एक प्रमुख कारण है़

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