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बजट पर नजर : निर्मला सीतारमण पेश करेंगी अंतरिम बजट, लोगों को सुविधा व सुदृढ़ व्यवस्था की दरकार

सरकार को हर किसी का ख्याल रखते हुए हर सुविधा और व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए. सरकार चाहे तो इनकम टैक्स की नयी कराधान पद्धति को आकर्षक बना सकती है. सैलरी क्लास को अपने साथ जोड़ने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को विस्तार दिया जा सकता है.

एक फरवरी को केंद्र सरकार की ओर से अंतरिम बजट पेश किया जाना है. हालांकि, यह अंतरिम बजट होगा, जो पूरी तरह चुनावी होगा. इसमें सरकार बड़े ऐलान नहीं करेगी. लेकिन, इस दौरान भी अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को सरकार की ओर से राहत की उम्मीद है. इस बार भी कुछ ऐसी ही उम्मीदें कारोबारी, इंडस्ट्रियलिस्ट व आम लोग कर रहे हैं.

इनका कहना है कि सरकार को हर किसी का ख्याल रखते हुए हर सुविधा और व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए. सरकार चाहे तो इनकम टैक्स की नयी कराधान पद्धति को आकर्षक बना सकती है. सैलरी क्लास को अपने साथ जोड़ने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को विस्तार दिया जा सकता है. वहीं, होटल इंडस्ट्री के लोग भी कई तरह की छूट और रियायत की उम्मीदें संजोए हैं.

विकासोन्मुख बजट होगा

केंद्र सरकार का अंतरिम बजट विकासोन्मुख होगा. ओवरऑल डेवलपमेंट का बजट होगा. चूंकि, इस बार वृहद बजट नहीं आना है, लेकिन टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव जरूर होगा, ऐसी उम्मीद हम लोगों को जरूर है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार फोकस करती आयी है और इसका रिजल्ट भी सामने आया है और आगे भी रहेगा.

उज्ज्वल चक्रवर्ती, अध्यक्ष, सीआइआइ

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विकास को गति मिलेगी

केंद्र के अंतरिम बजट से देश के विकास को गति मिलेगी. वर्तमान में सरकार ने काफी कदम इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को लेकर किया है. आने वाले दिनों में इसको और गति मिलेगी और विकसित भारत की ओर देश आगे बढ़ेगा, ऐसी उम्मीद है. विकासशील बजट की उम्मीद हमलोगों को है.

एसके बेहरा, उद्योगपति

लघु उद्योगों के लिए सुगम वित्तीय प्रबंधन की व्यवस्था हो

अंतरिम बजट आर्थिक व राजनीतिक दृष्टिकोण से लघु उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है. भारतीय अर्थ व्यवस्था पांचवें स्थान पर है और सरकार इसे तीसरे स्थान पर लाना चाहती है. भारत की फाइव ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बिना लघु उद्योग की मदद से संभव नहीं है. कोरोना काल से गुजरे उद्योगों के लिए कुछ ऐसा बजट आये कि जिसमें सुगम व आसान वित्तीय प्रबंधन हो और एफएमए वन, टू व थ्री को लघु उद्योग से हटा दिया जाय.

रूपेश कतरियार, अध्यक्ष, उद्यमी संगठन इसरो

सामाजिक सुरक्षा की हो घोषणा

उद्यमियों के लिए अंतरिम बजट में सामाजिक सुरक्षा की घोषणा सरकार को करनी चाहिए. उद्योगों के लिए अलग बैंकिंग व्यवस्था की जाए. कम ब्याज दरों पर उद्योगों के लिए ऋण मिलना चाहिए. उद्योग-धंधों के लिए जो नीतियां बनायी गयी हैं, उसे सरल किया जाए. आयकर में छूट बढ़े. उद्योग-धंधे नेचुरल गैस पर आधारित हैं. इसे जीएसटी में शामिल किया जाए. कीमतों में कमी आएगी. लोहे पर 18 फीसदी जीएसटी है, इसे घटाकर 12 फीसदी किया जाए.

-विजय आनंद मूनका, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स

बढ़ सकती है टैक्स फ्री ब्याज की सीमा

यह आम चुनाव से पहले पेश होने जा रहा अंतिम बजट है. ऐसे में सभी वर्गों को बजट से बेहद उम्मीदें हैं. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80टीटीए के अनुसार 60 वर्ष की उम्र से कम का कोई व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार का सदस्य, सहकारी समितियों या डाकघरों में बचत खाते में रखी राशि से ब्याज अर्जित करता है, तो एक साल की अवधि में मिलने वाले ब्याज की दस हजार रुपये तक की राशि को टैक्स फ्री रखा गया है.

प्रभात कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष, सांख्यिकी विभाग, जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज

खुदरा व्यापार व लघु उद्योगों को मिले प्रोत्साहन

व्यापारिक वर्ग अंतरिम बजट का इंतजार कर रहा है. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के विजन एवं प्राथमिकताओं के अनुसार, अंतरिम बजट में खुदरा व्यापार एवं लघु उद्योगों सहित अर्थव्यवस्था के सेक्टरों में वृद्धि के लिए मजबूत नीतियों की घोषणा होगी. कर सुधार या प्रोत्साहन के माध्यम से खुदरा व्यापार को भी बढ़ावा दिये जाने की आशा है. व्यापारी उम्मीद करते हैं कि ऐसे कदम उठाए जायेंगे, जो उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने, व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक वातावरण पैदा करने में सहायक हो.

सुरेश सोंथालिया, राष्ट्रीय सचिव, कैट

टीडीएस प्रक्रिया को सरल बनाना जरूरी

करदाताओं को उम्मीद है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री टीडीएस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कदम उठाएंगी. वर्तमान नियमावली के अनुसार यदि संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये या उससे अधिक है और संपत्ति बचने वाला भारतीय है, तो एक फीसदी टीडीएस के रूप में जमा करने की आवश्यकता होती है. यदि संपत्ति बेचने वाला एनआरआइ हो, तो टीडीएस के अनुपालन की प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है. एनआरआइ के मामले में टीडीएस कटौती ऊंचे दर पर होती है.

डॉ अंतरा कुमारी, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज

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होटल कारोबारियों के हितों का हो संरक्षण

तेजी से विस्तार ले रही होटल इंडस्ट्री सरकारी दबाव कम होने के साथ कई तरह की छूट और रियायत की उम्मीद संजोए है. टूरिज्म सेक्टर की इस सबसे महत्वपूर्ण कड़ी को विशेष प्रावधान की आवश्यकता है. होटल इंडस्ट्री पर सरकारी राजस्व का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. पिछले पांच-छह वर्षों में टैक्स का दबाव काफी बढ़ गया है. वर्तमान में इस क्षेत्र में विश्व स्तरीय समूहाें के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है. इसलिए सरकार को छोटे होटल व्यवसायियों के हितों का भी संरक्षण करना होगा. होटल के कमरों पर जीएसटी कम करने की जरूरत है.

रवीश रंजन, अध्यक्ष, जमशेदपुर होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन

बजट से लोगों को काफी उम्मीद रहती है. इस बार अंतरिम बजट में हेल्थ सेंटर को मजबूत करने के लिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. बजट में गरीब व आम मरीजों को राहत मिलनी चाहिए. कैंसर, हार्ट, न्यूरो, किडनी सहित अन्य बड़ी बीमारियों का इलाज सस्ता हो, ताकि लोगों को इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं पड़े. इस बजट में स्वास्थ्य पर अधिक खर्च कराने का प्रावधान होना चाहिए.

डॉ एसी अखौरी, पूर्व प्राचार्य, एमजीएम

मेडिकल कॉलेज

सरकार को स्वास्थ्य सेक्टर में गरीबों को ध्यान में रखकर बजट पेश करने की जरूरत है. देश में कई जगहों पर अस्पतालों से कनेक्टिविटी ही नहीं है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. गांव-गांव में स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मिले, इसको लेकर काम करने की जरूरत है. देश में फैल रही बीमारियों को रोकने के लिए नयी बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता है.

डॉ संतोष गुप्ता, उपाध्यक्ष, आइएमए, जमशेदपुर ब्रांच

स्टैंडर्ड डिडक्शन को विस्तार देने की जरूरत

अंतरिम बजट पूरी तरह चुनावी बजट होगा. इसमें सरकार बड़े ऐलान नहीं करेगी. फुल बजट जुलाई में आएगा. फिर भी सरकार की ओर से रेलवे सेक्टर में घोषणाएं की जा सकती हैं. सरकार चाहे तो इनकम टैक्स की नयी कराधान पद्धति को आकर्षक बना सकती है. सैलरी क्लास को अपने साथ जोड़ने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को विस्तार दिया जा सकता है. जीएसटी रिटर्न में सुधार व अमेंडमेंट के लिए पोर्टल का खोलना सर्वाधिक जरूरी है. सीमेंट पर जीएसटी की दर 28 से कम कर 18 फीसदी पर करना आमजनों के लिए हितकारी होगा.

सीए मनीष केडिया, कर विशेषज्ञ, आयकर विभाग

पेट्रोल, डीजल और शराब को जीएसटी में लाएं

हर साल की तरह वेतनभोगी करदाताओं को केंद्र सरकार से अपेक्षाएं होती हैं कि बजट में सामान्य आदमी पर आयकर बोझ को कम करने के उपायों की घोषणा होगी. मूल आयकर छूट सीमा को बढ़ाने से लेकर मानक छूट तक की. वर्तमान में, गैर-संबंधियों से प्राप्त उपहारों पर केवल तब कर मुक्ति बनी रहती है, जब ऐसे उपहारों का एक सालाना योग्यता मान रुपये 50 हजार से अधिक नहीं होती. यदि किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त उपहार 50 हजार से अधिक होते हैं, तो इसका सम्मिलित मूल्य कर लगा दिया जाता है. पेट्रोल, डीजल और शराब को जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत लाने का समय आ चुका है.

राजीव अग्रवाल, अधिवक्ता, स्टेट जीएसटी

लघु उद्योगों के लिए बाजार की व्यवस्था करे सरकार

अंतरिम बजट में लघु उद्योगों के लिए स्थिर बाजार की व्यवस्था हो. साथ ही उद्योग से संबंधित अनावश्यक नियम कानून को हटाकर एक स्वच्छ औद्योगिक वातावरण बनाये जाने का प्रावधान बजट में किया जाय, जिससे उद्यमियों में सुरक्षा की भावना जगे और वह कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाले इस सेक्टर को और मजबूत कर सकें.

इंदर अग्रवाल, अध्यक्ष, उद्यमी संगठन एसिया

उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए योजना शुरू हो

केंद्र सरकार को अंतरिम बजट में उद्यमियों के प्रोत्साहन देने के लिए योजना का प्रावधान किया जाना चाहिए. नये उद्यमियों के लिए बंद व बीमार पड़े लघु उद्योगों को लेकर वर्तमान व्यवस्था की कमियों को दूर करते हुए आर्थिक सहयोग की नयी योजना बने, ताकि वे इस दिशा में आगे बढ़ सकें.

संतोष सिंह, अध्यक्ष, उद्यमी संगठन सिया

लघु उद्यमियों को सरकारी सुविधाएं दी जाएं

लघु उद्यमियों को सरकार की ओर से जितना लाभ मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल पा रहा है. सरकार को विशेष कर लघु उद्यमियों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. बैंक से फाइनेंसियल सहयोग मिलना चाहिए. दूसरे राज्यों में लघु उद्यमियों को काफी सहयोग मिल रहा है. उसी तरह का सहयोग यहां भी मिलना चाहिए.

ज्ञानचंद्र जायसवाल, जिला अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

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