साक्ष्य के अभाव में हाइकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करने का सुनाया फैसला
10 दिसंबर 2013 को गोली मारकर की गयी थी हत्या, जिला कोर्ट ने 2019 में सभी आरोपियों को सुनायी थी उम्रकैद की सजा
प्रकाश मिश्रा 10 साल से, बाकी सभी आरोपी 7-8 सालों से जेल में हैं बंद, हाइकोर्ट में अपील की अंतिम सुनवाई कर यह फैसला सुनाया
Jamshedpur News :
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय व जस्टिस प्रदीप श्रीवास्तव ने सोमवार को जेम्को आजाद बस्ती बेलगढ़ा रोड में रहने वाले ट्रांसपोर्टर दलवीर सिंह वीरे हत्याकांड में 12 साल बाद उम्रकैद की सजा काट रहे सभी सातों आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया. कोर्ट ने चश्मदीद गवाहों के बयान में विरोधाभाष समेत अन्य साक्ष्य की कमी को आधार मानते हुए यह फैसला सुनाया. हत्याकांड में प्रकाश मिश्रा, सूरज मिश्रा, जयप्रकाश सिंह उर्फ जेपी, टीटू सरदार, भीमकांत, कुणाल शर्मा, सुमित चौधरी उम्रकैद की सजा काट रहे थे. इसमें प्रकाश मिश्रा 10 सालों से जेल में बंद थे, जबकि शेष अन्य आरोपी सात से आठ सालों से अधिक समय से जेल में बंद थे. सोमवार को झारखंड हाइकोर्ट ने अपील की अंतिम सुनवाई के बाद उक्त फैसला सुनाया.गौरतलब हो कि बारह साल पूर्व 10 दिसंबर 2013 को जेम्को आजाद बस्ती बेलगढ़ा रोड में घर के समीप ट्रांसपोर्टर दलवीर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. गोली मारने के अलावा हमलावरों ने वीरे के शरीर में चाकू से भी वार किया था, इतना ही नहीं अंत में सिर पर बड़े पत्थर से भी मारा था. घटना के बाद जमशेदपुर के तत्कालीन एसएसपी अमोल वी होमकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हत्याकांड का खुलासा करने का दावा किया था. इस मामले में पुलिस ने बर्मामाइंस लकड़ी टाल एरिया निवासी कुणाल शर्मा उर्फ टुडू, बर्मा रोड के अशोक राय एवं टेल्को मिश्रा बागान के नवीन कुमार पांडेय को गिरफ्तार किया था. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने तीन ऑटोमेटिक पिस्टल, तीन देसी कट्टा, दो चाकू, चार मोटरसाइकिल और दो मोबाइल को जब्त किया था. इस मामले में जमशेदपुर सिविल कोर्ट ने 12 सितंबर 2019 को सभी सातों आरोपियों को दोषी करार दिया था. जबकि प्रकाश मिश्रा के पिता लक्ष्मी नारायण मिश्रा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. 25 सितंबर 2019 को इस मामले में कोर्ट ने सातों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
वीरे हत्याकांड में पुलिस में जांच में क्या-क्या तथ्य आये थे सामने
पुलिस अनुसंधान में पाया गया था कि आरोपी प्रकाश मिश्रा जो कि प्रवीर झा हत्याकांड ( जिसका चांडिल में शव मिला था) में दलवीर सिंह वीरे ने कोर्ट में गवाहों को आर्थिक सहयोग किया था. वहीं कोर्ट ने प्रकाश मिश्रा और उसके पिता को कोर्ट ने सजा सुनायी थी. पुलिस जांच में दावा किया गया था कि प्रवीर झा हत्याकांड में प्रकाश मिश्रा और उसके पिता को दलवीर सिंह वीरे की वजह से ही सजा हुई थी, जिसका बदला लेने के उद्देश्य से वीरे की हत्या की गयी थी. पुलिस के अनुसंधान में यह भी पाया गया था कि प्रकाश मिश्रा की बहन ने अमरजीत सिंह पंकू से कोर्ट मैरेज किया था. इसकी वजह से मिश्रा परिवार से अमरजीत सिंह पंकू का विवाद हो गया था. बाद में अमरजीत सिंह पंकू की बारीडीह में हत्या कर दी गयी थी. हत्या का आरोप मिश्रा परिवार पर लगा था. इतना ही नहीं उक्त हत्याकांड के बाद प्रकाश मिश्रा की बहन ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वहीं अमरजीत सिंह पंकू के हत्या केस में प्रकाश मिश्रा और उसके पिता लक्ष्मी नारायण मिश्रा को सजा भी हुई थी. सजा दिलाने में दलवीर सिंह वीरे ने अमरजीत सिंह पंकू परिवार के लोगों को सहयोग किया था. आरोप था कि इसी का बदला लेने के लिए प्रकाश मिश्रा ने दलवीर सिंह वीरे की हत्या कर दी थी. हालांकि हाइकोर्ट ने सभी सजायाफ्ता को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

