जमशेदपुर: पब्लिक मनी को वैसे तो झारखंड में लूट के क्षेत्र के रूप में ही जाना जाता है, लेकिन जनता के पैसे की किस कदर लूट हो रही है, उसका जीता-जागता उदाहरण देखना है तो जमशेदपुर स्थित सर्किट हाउस जाकर देखिये.
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 9 कमरों वाले सर्किट हाउस के नये भवन का निर्माण कराने का दावा किया गया था. सरकार के एक चहेते ठेकेदार ने करीब एक करोड़ रुपये की लागत से उक्त भवन बनवाया था, लेकिन दो साल में ही उसकी हालत यह है कि पूरी बिल्डिंग की रिपेयरिंग पर दुबारा करीब 50 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
यानी जितने की बिल्डिंग, दो ही वर्ष बाद उसकी आधी राशि भवन की रिपेयरिंग पर खर्च करनी पड़ रही है. जाहिर है कि काम की क्वालिटी पर ही सवाल उठ रहे हैं. अब इसका पूरा दारोमदार उपायुक्त पर है कि वे इस मामले की कैसे जांच कराते हैं, इतने घटिया निर्माण के लिए किसे दंडित करते हैं. सरकारी काम की क्वालिटी की मोनीटरिंग नहीं होने से ऐसे हालात उत्पन्न हुए हैं.
भवन की रिपेयरिंग जरूरी है : हांसदा
सर्किट हाउस के भवन की मरम्मत जरूरी है. दो साल में ही रिपेयरिंग जरूरी हो गयी है, जिसके लिए हर जरूरी कदम उठाना जरूरी है. -जे हांसदा, कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग