संवाददाता, जमशेदपुर घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद अखिलेश सिंह की शनिवार को एडवाइजरी बोर्ड रांची में पेशी हुई. सीसीए लगाये जाने के फैसले को लेकर यह पेशी की गयी. कड़ी सुरक्षा के बीच अखिलेश को सुबह घाघीडीह जेल से रांची पेशी के लिए लाया गया. 21 अप्रैल 2015 को डीसी ने झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम की धारा 12 (2) के तहत सीसीए के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर अनुशंसा मुख्यालय को भेज दिया था. जिस कारण हाइकोर्ट से सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद भी अखिलेश सिंह जेल से बाहर नहीं निकल पाया था. पूर्व में भी जमानत मिलने पर बिष्टुपुर थाने में आर्म्स एक्ट मामले में प्रोटेक्शन की वजह से अखिलेश जेल से बाहर नहीं निकल पाया था. बोर्ड के समक्ष डीसी, एसएसपी ने रखा पक्ष एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष डीसी, एसएसपी ने शनिवार को अखिलेश सिंह पर सीसीए लगाने के संबंध में अपना पक्ष प्रस्तुत किया. वहीं अखिलेश सिंह ने जिला प्रशासन के फैसले के खिलाफ अपना तर्क रखा. जिसमें बताया कि 30 दिसंबर 2011 को नोयडा में उत्तरप्रदेश एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने डीआइपी मॉल से उसे गिरफ्तार किया था. दो बार पैरोल पर वह रिहा हुआ. सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद झूठे मामले में फंसा कर पुलिस ने सीसीए लगा दिया. सीसीए लगाने की लंबी प्रक्रिया एसएसपी की अनुशंसा पर डीसी की स्वीकृति से अपराधियों पर सीसीए लगाया जाता है. अनुशंसा के बाद लंबी प्रक्रिया पूरी करनी होती है. अनुशंसा के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए गृह विभाग के पास भेजा जाता है. इस दौरान जिस पर सीसीए लगाया जाता है उसे अपना पक्ष रखने का मौका एडवाइजरी बोर्ड में दिया जाता है. बोर्ड में डीसी, एसएसपी सीसीए लगाने का तर्क रखते हैं.
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सीसीए मामले में अखिलेश सिंह की एडवाइजरी बोर्ड में पेशी
संवाददाता, जमशेदपुर घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद अखिलेश सिंह की शनिवार को एडवाइजरी बोर्ड रांची में पेशी हुई. सीसीए लगाये जाने के फैसले को लेकर यह पेशी की गयी. कड़ी सुरक्षा के बीच अखिलेश को सुबह घाघीडीह जेल से रांची पेशी के लिए लाया गया. 21 अप्रैल 2015 को डीसी ने झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम […]
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