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फरलो लीव बंद करने की तैयारी

टाटा स्टील : मैनेजमेंट तैयार कर रहा मसौदा, यूनियन से ली जायेगी सहमति जमशेदपुर : टाटा स्टील के कर्मचारियों और सुपरवाइजरों को मिलने वाला फरलो लीव बंद करने की तैयारी है. रघुनाथ पांडेय के अध्यक्षकाल में ही इसको नोट ऑफ कंक्लूजन में लाया गया था, लेकिन वह लागू नहीं हो सका. लेकिन इस बार के […]

टाटा स्टील : मैनेजमेंट तैयार कर रहा मसौदा, यूनियन से ली जायेगी सहमति
जमशेदपुर : टाटा स्टील के कर्मचारियों और सुपरवाइजरों को मिलने वाला फरलो लीव बंद करने की तैयारी है. रघुनाथ पांडेय के अध्यक्षकाल में ही इसको नोट ऑफ कंक्लूजन में लाया गया था, लेकिन वह लागू नहीं हो सका. लेकिन इस बार के वेज रिवीजन समझौता (9 अगस्त 2014) में इस पर यूनियन ने चर्चा करने की सहमति जतायी थी. अब इसे लेकर टाटा स्टील मैनेजमेंट की ओर से मसौदा तैयार किया जा रहा है.
यूनियन के साथ इस मसले पर सहमति बनायी जायेगी. टाटा स्टील के कर्मचारियों के वेज रिवीजन समझौता के साथ किये गये एक अन्य समझौता में यह लिखा गया है कि जब नये बहाल कर्मचारी सुपरवाइजर ग्रेड में प्रोमोशन पा लेंगे, तब उनको फरलो लीव नहीं दिया जायेगा.
पुराने लोगों को फरलो लीव देने की प्रक्रिया को जारी रखा जायेगा. इसमें तय किया गया था कि नये बहाल होने वाले कर्मचारियों के लिए छह माह के भीतर सारे समझौता कर लिया जायेगा. इसके अलावा टीएमएच में कर्मचारियों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी अतिरिक्त चार्ज लगाने की तैयारी की गयी है. यूनियन की ओर से इस पर सहमति जतायी गयी है कि इस मसले पर वेज रिवीजन समझौता होने के छह माह के भीतर फैसला ले लिया जायेगा. इसमें यह बात का उल्लेख किया गया है कि कई वर्षो से स्वास्थ्य सेवाओं में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है.टीएमएच में हृदय रोग के लिए कैथ लैब समेत अन्य सुविधाएं शुरू की जा चुकी है.
वेज रिवीजन समझौता में यह तय किया गया था कि इस तरह की सुविधाओं के लिए कंपनी की ओर से कर्मचारियों से पैसे वसूले जायेंगे. वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों को तो यह सुविधाएं मिलेगी, लेकिन पूर्व कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं से इसको वंचित रखा जायेगा. इस तरह की सुविधा पर 25 फीसदी की राशि मार्केट रेट से वसूला जायेगा. इस पर भी तय किया गया है कि समझौता के छह माह के भीतर इस पर फैसला ले लिया जायेगा. जिसको धीरे-धीरे यूनियन के समक्ष रख कर फैसला लिया जायेगा.
कई विभागों के काम आउटसोर्स होंगे, एक तरह का ग्रेड बनेगा
वेज रिवीजन समझौता में यह भी उल्लेख है कि कई विभागों के काम को आउटसोर्स किया जायेगा. टय़ूब डिवीजन और कैंटीन पहले ही आउटसोर्स हो गये हैं. वहीं मेंटेनेंस के कई काम को भी आउटसोर्स किया जायेगा और कर्मचारियों को इएसएस जैसी सुविधाएं देकर संख्या को कम किया जायेगा. इस पर भी सहमति बनी थी कि छह माह के भीतर फैसला ले लिया जायेगा. इसके अलावा यह भी तय किया गया है कि एक तरह का सारा ग्रेड तैयार किया जायेगा. इसमें एस, डी, के1, वी व एसोसिएट्स स्ट्रर है. इसके लिए भी मैनेजमेंट के आला अधिकारियों की बैठक हो चुकी है.
पूरी टीम वहीं, जिन लोगों ने समझौता किया था
वेज रिवीजन में तय किये गये मसलों के समझौता होना इस कारण भी तय माना जा रहा है क्योंकि वर्तमान कमेटी में अधिकांश लोग वही हैं जो पिछले वेज रिवीजन के वक्त थे. सिर्फ अध्यक्ष की जगह उस वक्त के कोषाध्यक्ष रहे आर रवि प्रसाद अध्यक्ष हो चुके हैं जबकि डिप्टी प्रेसिडेंट और महामंत्री वहीं है. सहायक सचिव और उपाध्यक्ष में ही दो लोगों का बदलाव हुआ है. लिहाजा, यूनियन के पास बचने का रास्ता कम ही है . पीएन सिंह टीम ही वर्तमान कमेटी में हावी है.

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