जमशेदपुरः दलमा की तलहटी में रविवार की सुबह से ही सेंदरा पर्व को लेकर उत्सव का माहौल है. चारों तरफ से पहाड़ व जंगल से घिरे आसनबनी मौजा स्थित जामडीह गांव में कोल्हान, बंगाल व ओडि़शा के विभिन्न गांवों से दिशुवा शिकारियों का आना जारी रहा.
गांव में दो सेंदराथान हैं. इनमें पहले दलमा बुरु दिशुवा सेंदरा समिति द्वारा बुचीडुंगरी सेंदराथान (वट वृक्ष) में वन देवी की पूजा की गयी. इसके ठीक बाद कुछ ही दूरी पर स्थित जामडीह सेंदराथान में दलमा बुरु सेंदरा समिति द्वारा पूजा-अर्चना की गयी. दोनों ही स्थान पर वन देवी व तीर-धनुष, भाला, बरछी, फरसा समेत अन्य पारंपरिक हथियारों की पूजा की गयी. इस क्रम में कबूतर, मुर्गा व खस्सी की बलि दी गयी. साथ ही पुरोहितों ने सकवा बजा कर सेंदरा के लिए दलमा पर चढ़ाई करने का एलान कर दिया. इस दौरान दलमा बुरु दिशुवा सेंदरा समिति के फकीरचंद्र सोरेन, दलमा बुरु सेंदरा समिति के राकेश हेंब्रम, डॉ छोटे हेंब्रम समेत अनेक ग्रामीण उपस्थित थे.
गिपितिज टांडी में जुटे सैकड़ों दिशुवात्रदो अलग-अलग स्थान आसनबनी मध्य विद्यालय व फदलोगोड़़ा गिपितिज टांडी में सैकड़ों दिशुवा शिकारी जुटे. दोनों स्थानों पर रात्रि विश्राम के साथ उन्होंने सिंगरई नृत्य व गीत का आनंद लिया. इस परंपरागत गीत-नृत्य के माध्यम से यौन बीमारियों से बचने का संदेश दिया गया. यह बताया गया कि जीवन में पत्नी को छोड़ परस्त्री से संबंध बनाना सर्वदा अनुचित व बीमारियों की जड़ है. इसे ही सफल गृहस्थ जीवन का मूलमंत्र बताया गया.
चेकनाका वीरान, पगडंडी के रास्ते पहुंचे सेंदरा वीर
जमशेदपुर: सेंदरा पर्व को लेकर वन विभाग ने दलमा समेत तलहटी इलाकों ने रविवार की भोर से ही गश्ती शुरू कर दी है. जगह-जगह बनाये गये चेकनाका पर विभागीय पदाधिकारी व सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहे. दिन भर किसी भी चेकनाका पर सेंदरा शिकारियों का आवागमन नाममात्र रहा. दूसरी ओर सेंदरा शिकारियों ने मुख्य मार्गों को छोड़ ग्रामीण क्षेत्रों की पगडंडियों से ही दलमा पर चढ़ना बेहतर समझा. शिकार के लिए चिह्नित संवेदनशील इलाकों में दिन भर संबंधित क्षेत्र के डीएफओ की देख-रेख में गश्त दल तैनात कर दिया गया है. इन दलों ने जंगल को खंगाला. कहीं से जाल-फांस वगैरह मिलने की सूचना नहीं है.सेंदरा समितियों ने जहां वन्य प्राणियों की हत्या से परहेज, मगर किसी जानवर के सामने आने पर सेंदरा से गुरेज नहीं करने की बात कही है. वहीं वन विभाग ने इस बार वन्य जीवों की हत्या करते पकड़े जाने पर दलमा से नीचे उतारने व यथासंभव कार्रवाई करने की घोषणा की है. सेंदरा पर अंकुश लगाने में दलमा के तराई गांवों में गठित यूको विकास समिति भी विभाग का सहयोग कर रही है.
सेंदरा का संबंध जनतंत्र व लोबीर से
सेंदरा का संबंध जनजातीय समुदाय की न्यायप्रिय व जनतांत्रिक व्यवस्था से है, जिसमें जनता का फैसला सर्वमान्य होता है. ग्राम व पंचायत स्तर पर यदि किसी मामले का निबटारा नहीं हो सका, तो लोबीर उसका फैसला करता है. यह जनजातीय समुदाय की सर्वोच्च अदालत है, जिसमें सात परगना न्यायमूर्ति की भूमिका निभाते हैं आपसी विचार व दिशुवा की राय लेकर वे फैसला सुनाते हैं.
बरकरार रखेंगे परंपरा, नहीं तोड़ेंगे कानून : दिशुवा
आसनबनी में दोनों समितियों की ओर से जुटे दिशुवा शिकारियों ने कहा कि उनका मकसद सेंदरा के दौरान कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करना नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक परंपरा को बरकरार रखना है. अत: परंपरा निभाते हुए वे सोमवार को ढोल-नागाड़ा समेत पारंपरिक वाद्य यंत्र व हथियारों के साथ दलमा पर चढ़ाई करेंगे.