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कश्मीर के हालात के लिए राजनेता जिम्मेवार

जमशेदपुरः जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, दिल्ली के डायरेक्टर अरुण कुमार ने कहा कि वहां के मामले को लेकर भ्रम पैदा करने में राजनेता और सरकार जिम्मेदार हैं. वे इस बात को किसी भी सूरत से मानने को तैयार नहीं है कि जम्मू कश्मीर अलगाववादी राज्य है. उक्त बातें अरुण कुमार ने रविवार को बिष्टुपुर स्थित […]

जमशेदपुरः जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, दिल्ली के डायरेक्टर अरुण कुमार ने कहा कि वहां के मामले को लेकर भ्रम पैदा करने में राजनेता और सरकार जिम्मेदार हैं.

वे इस बात को किसी भी सूरत से मानने को तैयार नहीं है कि जम्मू कश्मीर अलगाववादी राज्य है. उक्त बातें अरुण कुमार ने रविवार को बिष्टुपुर स्थित श्रीकृष्ण संस्थान में जम्मू-कश्मीर तथ्य, समस्या एवं समाधान विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही. यहां कोई विवाद नहीं है. उन्हांेने कहा कि इस राज्य में 370 के तहत कोई विशेष छूट नहीं है. यह सिर्फ लैक ऑफ इनफॉरमेशन का मामला है. केंद्र से जानेवाली कमेटी के नुमाइंदे सिर्फ अलगाववादियों से मिलते हैं. अंग्रेजी हुकूमत ने 1947 में योजना बनायी थी कि जम्मू-कश्मीर का हिस्सा पाकिस्तान के पास रहे. ताकि वे इसका इस्तेमाल कर सके. श्री कुमार ने कहा कि गिलगित की सीमा छह देशों से मिलती है, सिकंदर से लेकर जितने भी आक्रमणकारी आये, सभी ने गिलगित मार्ग का ही प्रयोग किया. गिलगित से लंदन तक का रास्ता निकलता है. यूएन रेजूलेशन में साफ लिखा है कि पाकिस्तान की सेना को अधिकृत कश्मीर से वापस जाना होगा. मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद उद्यमी पुरुष शेखर डे ने कहा कि इस समस्या का समाधान 1947 में नहीं हो सका, जिसके कारण यह समस्या चली आ रही है. जब हरि सिंह ने कश्मीर का भारत में विलय किया था, उसमें पाकिस्तान संबंधी कोई बात नहीं थी. बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में अयूब खान ने भी अपनी बातों को रखा.
संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष हरिवल्लव सिंह आरसी ने की. संगोष्ठी का संचालन अवधेश कुमार पाठक ने और धन्यवाद ज्ञापन जयप्रकाश ओझा ने दिया.

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