जमशेदपुर : रामदास भट्ठा स्थित मसजिद- ए- नूर में आज एक साथ चार से पांच सौ लोग नमाज अता करते हैं. इसकी आधारशिला 1942 में रखी गयी. तब आसपास मुसलिम आबादी कम थी. 2-4 लोग ही एक चबूतरे पर नमाज अता किया करते थे. वक्त बदलने के साथ खपड़ैलनुमा झाेपड़ी बनाकर उसे मसजिद बनाया गया. शुरुआत में दो-तीन वक्त और बाद में लोग पांच वक्तों की नमाज बजमाअत पढ़ने लगे. उस समय मसजिद के पेश ए इमाम तैय्यब हुसैन हुआ करते थे.
स्थानीय मसजिद के बुजुर्ग खलील अहमद ने बताया कि मसजिद ए नूर की सेवा पिछले तीन दशकों तक उन्होंने स्थानीय लोगों के सहयोग से की. उस वक्त वे मसजिद के सचिव थे. वर्तमान में तीन लोगों की कमेटी मसजिद में धार्मिक कार्याें का संचालन कर रही है. जिनमें सदर अब्दुल सत्तार, सचिव सह काेषाध्यक्ष शब्बीर अहमद खान की देख-रेख में मसजिद की जुरूरतें पूरी की जा रही है. मसजिद के धार्मिक कार्याें में स्थानीय लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
इस मसजिद की चौड़ाई कम एवं लंबाई में अधिक है. वर्तमान में मौलाना हाफिज शमीम अहमद इस मसजिद के पेश- ए- इमाम हैं. नमाज ए तरावीह भी हाफिज शमीम अहमद द्वारा पढ़ाई जा रही है. मसजिद में ही ईद की नमाज पढ़ी जाती है.