बरही. पिछले दिनों की लगातार बारिश से नदी-नाले, ताल-तलैया व आहर-पोखर लबालब हैं. ऐसी बरसात किसानों को सालों बाद देखने को मिली है. इस बारिश ने धान की बेहतरीन उपज की संभावना बढ़ा दी है. धान के लिए इस समय अब और पानी की जरूरत नहीं है. बारिश से प्रखंड के 120 तालाब व आहर भर चुके हैं. बरसोत के कुची अहरी, खरौंजवा अहरी, टुकनी अहरी, माली तोला अहारी, अड़वार तालाब, ग्राम ओरपरता के छह तालाब, कदवा के पांच तालाब, गुड़ियों के चार, विजैया के चार, डापोक के चार, तेतरिया भंडारों के चार, रसोइया धमना के चार, धनवार के चार, दौरवा के तीन, गरजामो के तीन, धोबिया पहरी के तीन, बेहरा बाद के तीन, पुरहारा के तीन, बेरीसाल के तीन, भंडारों के तीन, चंदा बीघा तीन, बुंडू तीन, कोनरा दो, गोरिया कर्मा दो, बरही पूर्वी दो, केदारूत दो, कुंडवा दो, हरला दो, करसो दो, डूमरडीह दो, तेलोंडीह दो, बूढ़ीडीह दो, बरियाठट्टा दो, बल्हारा दो, खुर्द जवाड दो, हाथगड्ढा दो, अलग डीहा दो, करगइयो दो, बाघमारा दो, बेलादोहर दो, उज्जैना दो, बेंदगी दो, उजैना दो, बेलहरा दो, चंलगा दो व ग्राम बड़दाग के तीन तालाब में इतना पानी बरसों बाद दिख रहा है.
धान के लिए उपयोगी, संरक्षित करना होगा वर्षा जल
बिरसा क़ृषि विश्वविद्यालय के गौरिया करमा स्थित बीज अनुसंधान व उत्पादन प्रक्षेत्र के उप निदेशक श्रीनिवास गिरी ने बताया कि धान के लिए अभी और पानी की ज़रूरत नहीं है. पानी की ज़रूरत धान की बोआई के 80-90 दिन पर पड़ेगी. जब धान में बाली आने को होगी या आ चुकी होगी. उस समय उचित मात्रा में पानी चाहिए होता है. पानी नहीं मिलने पर फसल पर प्रतिकूल असर पड़ता है. इसलिए, ज़रूरी है तालाब-पोखरा में इस समय मौजूद पानी का संरक्षण किया जाये. ताकि बाली निकलने के समय बारिश नहीं हुई, तो किसान तालाब के संरक्षित जल से पटवन कर सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

