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..आंवरा लोंगरा गांव : सड़क के अभाव में नहीं हो रहा गांव का विकास

रायडीह प्रखंड अंतर्गत कोब्जा पंचायत का आंवरा लोंगरा गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है.

ग्राउंड रिपोर्ट : रायडीह प्रखंड के आंवरा लोंगरा की 500 आबादी सड़क और बिजली अभाव का झेल रहे दंश. : प्रखंड मुख्यालय तक जाने वाला मुख्य रास्ता पर कहीं गड्ढा, कहीं उबड़-खाबड़ तो कहीं नाला है. : बिजली नहीं होने के कारण अंधेरे में गुजरती है रात, जंगली जानवरों, सांप व जहरीले कीड़े-मकोड़ों का बना रहता है भय. 22 गुम 20 में गांव की समस्या बताते ग्रामीण 22 गुम 21 में यह है गांव जाने वाली सड़क 22 गुम 22 में नाला व पगडंडी से जाते हैं लोग 22 गुम 23 में खराब पड़ा ट्रांसफार्मर जगरनाथ पासवान, गुमला रायडीह प्रखंड अंतर्गत कोब्जा पंचायत का आंवरा लोंगरा गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. जंगल की तराई में चट्टानों पर बसे इस गांव में चार टोले-बुचीडाड़ी, आंवरा लोंगरा, गलगुटरी और नवाटोली शामिल हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग 500 है, लेकिन इतनी बड़ी जनसंख्या को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाला कोई समुचित सड़क मार्ग नहीं है. ग्रामीणों का मुख्य आवागमन खेतों की पगडंडियों और उबड़-खाबड़ रास्तों से होता है, जो बरसात के मौसम में पूरी तरह बंद हो जाता है. गांव से गुजरने वाला एक नाला, जिसमें पानी भर जाने पर वह छोटी नदी का रूप ले लेता है, आवागमन में सबसे बड़ी बाधा बनता है. इस नाले पर पुलिया तक नहीं है, जिससे बरसात के दौरान गांव के लोग महीनों तक अपने ही गांव में कैद होकर रह जाते हैं. सड़क की इस दयनीय स्थिति के कारण न केवल ग्रामीणों को दैनिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, बल्कि गांव का समग्र विकास भी बाधित हो रहा है. बिजली की स्थिति भी चिंताजनक गांव में बिजली की व्यवस्था भी नाम मात्र की है. पूर्व उपायुक्त की पहल पर गांव में बिजली खंभे, तार और एक ट्रांसफॉर्मर लगाया गया था, लेकिन विगत कई महीनों से ट्रांसफॉर्मर खराब पड़ा है, जिससे गांव में अंधकार पसरा हुआ है. जंगल के किनारे बसे इस गांव में रात के समय जंगली जानवरों, सांपों और जहरीले कीड़ों का भय बना रहता है. बिजली की अनुपस्थिति से बच्चों की पढ़ाई, घरेलू कार्य और सुरक्षा सभी प्रभावित हो रहे हैं. पेयजल की समस्या भी गंभीर पूर्व उपायुक्त के निर्देश पर गांव में दो चापानल लगाये गये थे, लेकिन उनमें से एक अब खराब हो चुका है. गर्मी के मौसम में ग्रामीणों को तीन किलोमीटर दूर शंख नदी से गंदा पानी लाना पड़ता है. यह न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि महिलाओं और बच्चों के लिए अत्यंत जोखिमपूर्ण भी है. ग्रामीणों की गुहार और प्रशासनिक उदासीनता गांव के रामधनी सिंह, बहुरा मुंडा, उदयपाल सिंह, मनराज लोहरा, रामदयाल मुंडा, मुकेश मुंडा, बुंगुल सिंह, पुसा मुंडा, मंगल सिंह और वीरेंद्र मुंडा जैसे ग्रामीणों ने बताया कि उनका जीवन भगवान भरोसे चल रहा है. उन्होंने पूर्व में उपायुक्त से मिलकर गांव की समस्याओं को दूर करने की मांग की थी. उपायुक्त ने आश्वासन भी दिया था और कुछ प्राथमिक कदम उठाए गए थे, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उनका विकास रुक गया है. बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार के अवसर सभी प्रभावित हो रहे हैं. प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद समस्याएं जस की तस बनी हुई है.

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