ललित उरांव बस पड़ाव हेडिंग…हर साल राजस्व 60 लाख, लेकिन सुविधा कुछ भी नहीं : एक वर्ष से सड़क टूटी हुई है. अब तो मुख्य सड़क तालाब बन गयी है. परंतु, इसकी कभी मरम्मत नहीं हुई. 23 गुम 2 में समस्या बताते लोग 23 गुम 3 में बस पड़ाव की सड़क बनी तालाब 23 गुम 4 में बस पड़ाव जाने वाली सड़क का हाल 23 गुम 5 में हिमांशु केशरी 23 गुम 6 में रोहित उरांव 23 गुम 7 में अनिल कुमार 23 गुम 8 में राजेंद्र प्रसाद 23 गुम 9 में देवेंद्रलाल उरांव 23 गुम 10 में रोहित भगत 23 गुम 11 में बबलू वर्मा 23 गुम 12 में राजेश सिंह दुर्जय पासवान, गुमला साहब, यह गुमला शहर के बस पड़ाव जाने वाली सड़क है. कभी आप भी घूमने आइये. पता तो चले कि ऐसी सड़कों पर अधिकारी भी पैदल चल सकते हैं. रविवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम बस पड़ाव में हुआ. इस दौरान लोगों ने बस पड़ाव जाने वाली सड़क की समस्या को रखा. साथ ही गुमला प्रशासन व नगर परिषद का इस ओर ध्यान दिलाया. लोगों ने कहा कि नगर परिषद गुमला में डेड पड़ा हुआ है. यही वजह है. बस पड़ाव की सड़क नहीं बन रही है. लोगों को यहां परेशानी हो रही है. बारिश होते ही मुख्य सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है. गड्ढों के कारण लोग हादसे के शिकार भी हो रहे हैं. ऐसे, लोगों की सुनें तो यहां सुविधा कुछ भी नहीं है. बस पड़ाव की क्या स्थिति है. इसे देखने या झांकने कभी अधिकारी नहीं आते हैं. ललित उरांव बस पड़ाव से हर साल 60 लाख रुपये राजस्व मिलता है. परंतु, प्रशासन सुविधा देने में फेल है. यूरिनल नहीं, पेशाब करने का भी पैसा लगता है बस पड़ाव में कहीं पास यूरिनल की व्यवस्था नहीं है. इससे महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. यहां सामुदायिक शौचालय में पेशाब करने पर 10 रुपये लगता है. लोगों ने कहा कि गुमला बस पड़ाव की यह स्थिति है कि पेशाब करने के भी पैसे लगते हैं. लोगों ने नाली के ऊपर यूरिनल बनाने की मांग की है. महिलाओं के लिए पिंक कलर का यूरिनल बनने से महिलाओं को राहत मिलेगी. बस स्टैंड से हर साल लाखों रुपये राजस्व लिया जा रहा है. लेकिन सुविधाओं का घोर अभाव है. पानी, बिजली, साफ सफाई जैसी सुविधा तक नहीं है. बस पड़ाव जाने वाली सड़क टूट गयी है. प्रशासन जनहित में इसकी मरम्मत मराये. हिमांशु केशरी, पूर्व अध्यक्ष चेंबर बस स्टैंड की नियमित साफ सफाई तक नहीं की जाती है. पानी के लिए बस स्टैंड से बाहर के भरोसे है. स्टैंड में लगाया गया अधिकांश लाइट खराब है. नगर परिषद यहां सुविधा कुछ भी नहीं दे रहा है. यहां बहुत मुश्किल है. प्रशासन ध्यान दें. रोहित उरांव, युवा समाज सेवी नगर परिषद को बस स्टैंड की समस्याओं को दूर करना चाहिए. बस स्टैंड में रोजाना 200 से भी अधिक बसें आती-जाती है. हजारों लोगों का आवागमन होता है. लेकिन बस स्टैंड में सुविधाओं का घोर अभाव है. प्रशासन एक बार जांच कर लें. अनिल कुमार, पूर्व वार्ड कमिश्नर गुमला में नगर परिषद पूरी तरह डेड हो गया है. डेड होने के कारण ही जनता की समस्याओं को दूर करने में नप फेल है. बस पड़ाव में कई समस्याएं हैं. सबसे बड़ी समस्या सड़क की है. 60 लाख रुपये राजस्व मिलता है. फिर भी सड़क टूटी हुई है. राजेंद्र प्रसाद, पूर्व वार्ड कमिश्नर नगर परिषद को बस स्टैंड की समस्याओं को दूर करना चाहिये. बस एसोसिएशन की ओर से नगर परिषद से कई बार समस्याओं को दूर करने का आग्रह किया गया है. लेकिन अभी तक समस्याएं दूर नहीं की गयी. सड़क टूट गयी है. देवेंद्रलाल उरांव, समाज सेवी बसों से टैक्स बढ़ गया है. परंतु, सुविधा नहीं दे जा रही है. एक बस से प्रतिदिन 125 रुपये टैक्स लिया जाता है. प्रशासन से अनुरोध है. अगर आप टैक्स ले रहे हैं तो यहां सुविधा भी बहाल करें. बस पड़ाव का चौड़ीकरण हो. रोहित भगत, समाज सेवी बस स्टैंड की जो समस्या है. उसे दूर करने की जिम्मेवारी नगर परिषद की है. नगर परिषद के अधिकारी को एक बार बस स्टैंड की जांच कर जो समस्या है. उसे दूर करने की पहल करनी चाहिए. यहां लोगों को काफी परेशानी हो रही है. बबलू वर्मा, सचिव, चेंबर शहर की आबादी बढ़ी है. बसों की संख्या भी अधिक है. अभी स्थिति यह है कि बस पड़ाव जाने वाली सड़क टूट गयी है. लोगों को परेशानी हो रही है. हादसे भी हो रहे हैं. प्रशासन से अनुरोध है. एक बार जांच कर लें. बस पड़ाव की सड़क बनवा दें. राजेश सिंह, अध्यक्ष, चेंबर इन आठ समस्याओं का समाधान जरूरी : बस पड़ाव में महिलाओं के लिए यूरिनल बने. : बस पड़ाव में पीने के पानी की व्यवस्था हो : पुलिस चौकी की स्थापना हो या 24 घंटे गश्ती हो. : बस स्टैंड में टूट चुकी सड़कों की मरम्मत जरूरी है. : बरसात में जमा होने वाले पानी की निकासी हो. : हर दिन साफ सफाई हो. ताकि स्टैंड सुंदर दिखे. : बेकार पड़े सभी हाई मास्ट लाइट की मरम्मत हो. : बस पड़ाव को बड़ा करने के लिए प्लान बनाया जाये.
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