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गुमला के रायडीह में ग्रामीणों ने श्रमदान से जर्जर एवं कीचड़युक्त सड़क को चलने लायक बनाया

Jharkhand news, Gumla news : शासन- प्रशासन की उपेक्षा और अभियंता (Engineer) एवं संवेदक की मनमानी का दंश झेल रहे कसीरा गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान कर रायडीह प्रखंड के कसीरा से मोकरा गांव तक (लगभग 5 किमी) जर्जर एवं कीचड़युक्त सड़क को मरम्मत कर चलने लायक बनाया है. बता दें कि कसीरा से मोकरा जाने वाली सड़क के बीच में बहरी नदी है. उक्त बहरी नदी पर वर्ष 2020 के जनवरी माह में ही पुल का निर्माण हुआ है. पुल निर्माण के समय पुल के दोनों ओर 15 से 20 मीटर तक सड़क भी बनायी गयी थी, जो महज तीसरे महीने में ही धंस कर बेकार हो गया. उक्त धंसी हुई सड़क भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है.

Jharkhand news, Gumla news : गुमला (जगरनाथ) : शासन- प्रशासन की उपेक्षा और अभियंता (Engineer) एवं संवेदक की मनमानी का दंश झेल रहे कसीरा गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान कर रायडीह प्रखंड के कसीरा से मोकरा गांव तक (लगभग 5 किमी) जर्जर एवं कीचड़युक्त सड़क को मरम्मत कर चलने लायक बनाया है. बता दें कि कसीरा से मोकरा जाने वाली सड़क के बीच में बहरी नदी है. उक्त बहरी नदी पर वर्ष 2020 के जनवरी माह में ही पुल का निर्माण हुआ है. पुल निर्माण के समय पुल के दोनों ओर 15 से 20 मीटर तक सड़क भी बनायी गयी थी, जो महज तीसरे महीने में ही धंस कर बेकार हो गया. उक्त धंसी हुई सड़क भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है.

कच्ची सड़क पर बिना किसी प्रकार का मेटेरियल लगाये कालीकरण कर दिया गया. साथ ही एक छोटा सा गार्डवाल बनाकर काम के नाम पर महज कोरम पूरा किया गया. हालांकि, गांव के लोगों ने सड़क की स्थिति से प्रशासनिक पदाधिकारियों और संवेदक को अवगत भी कराया. लेकिन, सड़क की स्थिति पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

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इधर, वर्तमान में सड़क की स्थिति ऐसी है कि सड़क पर अनेकों छोटे-बड़े गड्ढे बने हुए है. हल्की बारिश होने पर भी गड्ढों में पानी भर जाती है, जिससे लोगों को उक्त सड़क से आवागमन करने में भारी परेशानी हो रही है. प्रशासनिक स्तर पर सड़क दुरुस्त नहीं कराने के बाद गुरुवार को अभाविप के प्रदेश सह मंत्री देवेंद्र लाल उरांव एवं रातो उरांव के नेतृत्व में गांव के पुरुष, महिलाएं एवं बच्चे-बच्चियां अपने-अपने घर से हाथ में कुदाल एवं कड़ाही लेकर निकले और सड़क के मरम्मती में लग गये.

देवेंद्र लाल उरांव एवं रातो उरांव ने बताया कि अभियंता एवं संवेदक की मनमानी का दंश गांव के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. यदि काम बेहतर ढंग से होता, तो आज हमें श्रमदान से सड़क मरम्मती करने की जरूरत नहीं पड़ती. घटिया काम कराने वाले संवेदक और उसे सही करार देने वाले अभियंता पर कार्रवाई होनी चाहिए.

श्रमदान करने वाले बलराम उरांव, अजीत गोप, सुदे उरांव, भरत उरांव, सूर्या उरांव, शोभा उरांव, मिसी कुमारी, निशांत उरांव, सिलास बाड़ा सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि सड़क की स्थिति से प्रशासन एवं संवेदक को अवगत कराये हैं, लेकिन उनलोगों द्वारा सड़क की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया. मजबूरी में श्रमदान कर सड़क की मरम्मती करनी पड़ी.

Posted By : Samir ranjan.

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