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गुमला जिले में आज है भी बारिश की संभावना, वज्रपात भी हो सकता है, जानें क्या कहते हैं मौसम विशेषज्ञ

गुमला जिले में आज भी बारिश की संभावना है. वज्रपात भी होगा. इसलिए किसान जो खेतीबारी में लगे हैं. वे सावधानी बरतें. हालांकि यह बारिश रोपा धान के लिए फायदेमंद है.

गुमला जिले में आज भी बारिश की संभावना है. वज्रपात भी होगा. इसलिए किसान जो खेतीबारी में लगे हैं. वे सावधानी बरतें. हालांकि यह बारिश रोपा धान के लिए फायदेमंद है. कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के अनुसार अगले कुछ दिनों तक आकाश में बादल छाये रहेंगे. कहीं-कहीं पर मध्यम से हल्के दर्जे की बारिश होगी. आसमानी बिजली भी गिरने का डर है. इसलिए लोग सावधानी बरते. खेत, जंगल व पेड़ के नीचे न रहे. सुरक्षा का पूरा ख्याल रखें.

दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 31 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा. जबकि रात का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा. आपेक्षिक आर्द्रता 94 प्रतिशत से 73 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है. साथ ही हवा औसतन छह किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी.

किसान खेत के मेढ़ को दुरुस्त रखे :

कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के कृषि वैज्ञानिक डॉ संजय पांडेय के अनुसार अगले दो दिनों तक मौसम खराब रहेगा. जिसे देखते हुए दलहनी एवं सब्जियों की खेती से उचित जल निकासी प्रबंधन की आवश्यकता है. किसान रोपा धान के खेत में जलजमाव बनाये रखने के लिए खेत के मेढ़ को दुरुस्त रखे. जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की सुविधा नहीं है और वे अगात आलू या हरा मटर की खेती करना चाहते हैं.

वे उत्तम बीज उर्वरक आदि का प्रबंध करें. उचित खेत का चुनाव कर जहां जल जमाव बिल्कुल नहीं होता है. वहां मौसम के अनुकूल होने पर खेती की तैयारी करें. किसी भी दवा का छिड़काव साफ मौसम को देखते हुए करें. दवा के घोल में सेंडोविट या टिपोल पांच मिलीलीटर प्रति 10 लीटर घोल पर बनाये. सेंडोविट या टिपोल के अभाव में घोल को साबुन के पानी में तैयार करें. इससे दवा का घोल चिपचिपा हो जाता है और हल्की वर्षा के बावजूद पौधे से दवा पूर्णत: घुलता नहीं है.

मवेशियों को मौसम में बचाये :

वर्तमान मौसम में मवेशियों में संक्रमण रोग लगने की आशंका अधिक रहती है. इसलिए किसान अपने जानवरों को खुला नहीं छोड़े. पशुओं पर विशेष ध्यान दें. प्रयास रहे कि बाहर का पानी पशु न पीये. जितना हो. पशुओं को शुद्ध पानी पीने को दें.

किसानों को कृषि आधारित परामर्श :

धान : किसान अपने रोपे गये फसल की समुचित देखरेख करें. क्योंकि ऐसे मौसम में फसल में झुलसा रोग व विभिन्न कीटों की आक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है. फसल में दानेदार कीटनाशी से दवा कारटाफ हाइड्रोक्लोराइड फोर जी (10 से 12 किलोग्राम प्रति एकड़) का भुरकान करने से फसल सुरक्षित रहेगा. दानेदार कीटनाशी दवा के भुरकाव के समय खेत में कम से कम दो सेंटीमीटर पानी स्थिर होना चाहिए.

आलू :

जो किसान आगत आलू की खेती करना चाहते हैं. वे उत्तम किस्म का बीज, उर्वरक आदि का प्रबंध करें. आलू की आगत अनुशंसित किस्म कुफरी अशोका या पुखराज में से किसी एक किस्म का चुनाव करें. एक एकड़ में बोवाई के लिए 12 क्वींटल बीज एवं 40 किलोग्राम यूरिया, 70 किलोग्राम डीएपी, 80 किलोग्राम म्यूरियट ऑफ पोटाश एवं 10 किलोग्राम गंधक की आवश्यकता होती है.

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