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मुर्दों को याद करने का दिन है कब्र पूजा

मुर्दों को याद करने का दिन है कब्र पूजा

जगरनाथ पासवान, गुमला

इसाई मिशनरी आज कब्र पूजा करेंगे और मुर्दो के लिए विशेष प्रार्थना करेंगे. गुमला धर्मप्रांत के सभी 39 पल्लियों (चर्च) में स्थित करीब 750 कब्र में पूजा पाठ होगी. बीते 15 दिनों से कब्र पूजा की तैयारी चल रही थी, जो शनिवार को पूरी हो गयी. रविवार (दो नवंबर) को कब्र को फूल माला व मोमबत्ती से सजाया जायेगा. कब्र पूजा पर सीप्रियन कुल्लू ने बताया कि जीवन व मरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. ख्रीस्त विश्वास की मान्यता के अनुसार जो मनुष्य मरता है. उसका दोबारा जन्म होता है. मरना जीवन का अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है. मनुष्य का संबंध मृत आत्माओं से है. क्योंकि जो मरे हैं. वे हमारे अपने हैं. आज हम मृत आत्माओं के लिए प्रार्थना करें. अपने जीवन काल में पूर्वजों ने जो पाप व बुराई किया और ईश्वर से माफी नहीं मांगी. हम इसके लिए माफी मांगे. साथ ही अपने अंदर की छुपी बुराई व शैतान को मारे. संत पात्रिक महागिरजा के पल्ली पुरोहित फादर जेरोम एक्का ने बताया कि कब्र पूजा की तैयारी पूरी हो गयी है. इस दिन ख्रीस्त विश्वासी अपने-अपने सगे-संबंधियों की कब्र पर पूजा करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.

बिशपों के कब्र में होगी पूजा

गुमला धर्मप्रांत के प्रथम बिशप माइकल मिंज व द्वितीय बिशप पौल अलविस लकड़ा (स्वर्गीय) के कब्र में आज विशेष पूजा होगी. उनके लिए भी प्रार्थना की जायेगी. स्वर्गीय माइकल मिंज व पॉल लकड़ा का कब्र संत पात्रिक महागिरजाघर के अंदर बनाया गया है. यहां आस्था से मोमबत्ती जलायी जायेगी. इसके अलावा सभी चर्च में पुरोहितों द्वारा पूजा पाठ करायी जायेगी.

750 कब्र में होगी प्रार्थना

गुमला धर्मप्रांत में 39 पल्ली है. इसके अंतर्गत 350 छोटे-छोटे चर्च हैं. इन चर्चों में करीब 750 कब्र है. जहां हर दो नवंबर को कब्र पूजा होती है. इसमें मृत आत्माओं के लिए विशेष प्रार्थना होगी.

गुमला धर्मप्रांत के पल्ली के नाम

गुमला, सोसो, टुकूटोली, रामपुर, दलमदी, तुरबुंगा, अघरमा, कोनबीर नवाटोली, केमताटोली, ममरला, केउंदटाड़, छत्तापहाड़, रोशनपुर, लौवाकेरा, सुंदरपुर, देवगांव, करौंदाबेड़ा, मांझाटोली, जोकारी, मुरुमकेला, टोंगो, बारडीह, चैनपुर, मालम नवाटोली, नवाडीह, कटकाही, केड़ेंग, परसा, भिखमपुर, रजावल, कपोडीह, डुमरपाट, डोकापाट, बनारी, विमरला, चिरैयां, जरमना व नवडीहा है.

कब्र पर्व मनाने के कारण

फादर सीप्रियन ने कहा है कि जो मर गये हैं. वे पहले मनुष्य थे. उनमें जीवन था. वे अपने जीवन काल में पाप किये. लेकिन ईश्वर से क्षमा नहीं मांगे. इसलिए उनके संतान मृत पूर्वजों के लिए ईश्वर से माफी मांगेंगे.

कब्र पर्व की मान्यता

इसाइयों में मान्यता है कि मृत्यु के बाद जीवन का अंत नहीं है. मरने के बाद पुनर्जन्म होता है. यह मान्यता सृष्टि के निर्माण के समय से चली आ रही है, जो अन्नत तक चलती रहेगी. कब्र पूजा से पूरखों से रिश्ता बना रहता है.

कब्र पर्व पर विश्वास

कब्र पवित्र स्थल होता है. मरने के बाद कोई भेदभाव नहीं रहता है, जो मर गये. वे कब्र में शांत मुद्रा में रहते हैं. जबतक मनुष्य जिंदा है. वह बुराई व अच्छाई दोनों प्रकार के कार्य करता है. अगर ईश्वर से प्रार्थना करें, तो हमारे पाप दूर होता है.

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