कामडारा. कामडारा प्रखंड में 1963 से दुर्गा पूजा हो रही है. प्रखंड में उस समय बिजली नहीं होने से शाम होते क्षेत्र अंधेरे में डूब जाता था, जिससे लोग पेट्रोमैक्स की व्यवस्था कर पूजा करते थे. दुर्गा पूजा शुरू कराने में गुमला निवासी गिरिजा प्रसाद शर्मा, समद पादरी, मंगरा साहू, गणेश साहू, कृष्ण चंद्र साहू, दिल मोहम्मद खान, रमण साहू, रामगोपाल साहू, श्याम सुंदर साहू, शिवनारायण गंझ, बालकू साहू ने आर्थिक सहयोग देकर पूजा संपन्न कराये थे. उस वक्त 463 रुपये में पूजा हुई थी. शुरुआती दौर में राम मंदिर के बगल में तिरपाल लगा कर पूजा की जाती थी. तोरपा थाना के तपकारा गांव से मूर्तिकार आते थे, जिन्हें मूर्ति बनाने की मेहताना के रूप में मात्र 35 रुपये व एक धोती देकर विदा किया जाता था. उस समय नवरात्रि पूजा नहीं होती थी. सिर्फ षष्ठी संध्या बेला में बेलवरण तथा सप्तमी पूजा, अष्टमी व नवमी तथा दशमी के दिन विसर्जन होता था. नवमी जागरण रात्रि में पंडित देव नारायण मिश्रा के नेतृत्व में पहला नाटक नल दमयंती प्रस्तुत किया गया था. नाटक में नूर मोहम्मद खान, हसन खान, कालीचरण साहू, बलदेव तिवारी समेत अन्य युवकों की सहभागिता होती थी. लोग दूर-दराज से नाटक देखने आते थे. ज्ञात हो कि उस समय पोकला व बक्सपुर गांव में दुर्गा पूजा नहीं होती थी. लोग दुर्गा उपासना करने के लिए कामडारा आते थे. अब वर्तमान में सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का निर्माण किया गया और दुर्गा पूजा भव्य रूप से मनाने लगे हैं. वहीं स्थायी दुर्गा बाड़ी का भी निर्माण पूरा हो गया है.
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