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Merry Christmas: प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी में जुटे इसाई मिशनरी, गुमला के सभी चर्चों की सजावट शुरू

jharkhand news: प्रभु यीशु के आगमन को लेकर गुमला धर्मप्रांत के सभी चर्चो की तैयारी शुरू हो गयी है. चर्चों के साथ इसाई मिशनरी अपने-अपने घरों की लिपाई-पुताई में भी जुटे गये हैं. वहीं, आकर्षक चरणी व ट्री बनाने का भी काम जोर-शोर से चल रहा है.

Merry Christmas: गुमला जिले के इसाई मिशनरी प्रभु यीशु के आगमन काल व प्रभु यीशु के जन्मोत्सव यानी क्रिसमस की तैयारी में जुट गये हैं. गुमला जिले में प्रभु यीशु के स्वागत को लेकर खासा उत्साह है. यह उत्साह शाम ढलते ही इसाई मिशनरी बहुल मुहल्ला, गांव व टोला में देखने को मिलता है. गुमला धर्मप्रांत के अंतर्गत पड़ने वाले सभी 37 आरसी चर्चो व NWGEL चर्चो के युवा, महिला और पुरुष मंडली द्वारा प्रभु यीशु के आगमन का संदेश देने की भी तैयारी की जा रही है. इसके लिए कामों का बंटवारा कर दिया गया है.

साथ ही इसाई मिशनरी रंग-बिरंगी चरणी, ट्री, केक बनाने में जुट गये हैं. चर्चो की साफ-सफाई हो रही है. आकर्षक ढंग से सजावट की जा रही है. घरों की लिपाई-पुताई भी शुरू हो गया है. गांव में ग्रोटो का निर्माण किया गया है. युवक-युवतियां ग्रोटो की सजावट में भी जुटे हुए हैं.

25 दिसंबर को विभिन्न चर्चो में होनेवाले प्रभु के गीत व भजन की तैयारी भी मंडली कर रहे हैं. चूंकि इस बार कोरोना संक्रमण है. इस कारण जितनी भी तैयारी चल रही है. उसमें सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जा रहा है. इसके अलावा बिशप हाउस से दिशा-निर्देश भी जारी किया गया है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करेंगे. चेहरे में मास्क जरूर लगायेंगे. साथ ही जहां भी पूजा-पाठ होगी. वहां सीमित लोग ही उपस्थित रहेंगे और सैनिटाइजर का उपयोग जरूर करेंगे.

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क्रिसमय कैरोल को इस प्रकार जाने

मसीही परंपरा के मुताबिक, बालक यीशु के जन्म के पहले युवक-युवतियां घरों में जाकर बालक यीशु के आगमन (जन्म) का संदेश देते हैं. इसके पीछे तर्क यह है कि बालक यीशु के जन्म का संदेश स्वर्ग दूतों ने सर्वप्रथम गड़ेरियों को दिया था. इसके बाद गड़ेरियों ने घूम-घूमकर अन्य लोगों तक संदेश पहुंचाया. बालक यीशु की जन्म 24 दिसंबर की अर्धरात्रि को होती है. इसलिए क्रिसमस पर्व पर 24 दिसंबर की रात 12 बजे से मिस्सा पूजा शुरू होता है, जो दूसरे दिन 25 दिसंबर तक विभिन्न चरणों में पूजा की विधि होती है.

गुमला धर्मप्रांत के 37 पल्लियों के नाम

गुमला धर्मप्रांत में 37 पल्ली है। इनमें गुमला, सोसो, टुकूटोली, रामपुर, दलमदी, तुरबुंगा, अघरमा, कोनबीर नवाटोली, केमताटोली, ममरला, केउंदटोली, छत्तापहाड़, रोशनपुर, लौवाकेरा, सुंदरपुर, देवगांव, करौंदाबेड़ा, मांझाटोली, जोकारी, मुरुमकेला, टोंगो, बारडीह, चैनपुर, मालम नवाटोली, नवाडीह, परसा, कटकाही, केडेंग, भिखमपुर, रजावल, कपोडीह, डुमरपाट, डोकापाट, बनारी, विमरला व नवडीहा है. इन पल्लियों में लगभग 350 छोटे छोटे चर्च हैं. जहां क्रिसमय पर्व की धूम रहती है.

18 मंडलियों में क्रिसमस की तैयारी

गुमला जिले के एनडब्ल्यूजीईएल चर्च के 18 मंडलियों में क्रिसमस पर्व की तैयारी चल रही है. एनडब्ल्यूजीईएल के मुख्य केंद्र गुमला शहर में लुथेरान चर्च के अलावा करमटोली, चाहा, पुग्गू, गम्हरिया, झड़गांव, मुरईटोली, पीबो, मोकरो, असनी, सिलम, पानीसानी, चैनपुर, डुमरी, जारी, बिशुनपुर, घाघरा, सिसई, भरनो, बसिया, कामडारा, पालकोट सहित 700 छोटे बड़े चर्च है.

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क्रिसमस के बाद शादी-विवाह शुरू होगी : विकर जनरल

गुमला के विकर जनरल फादर सीप्रियन कुल्लू ने कहा कि प्रभु यीशु के आगमन को लेकर मिशनरी अध्यात्मिक तैयारी कर रहे हैं. क्रिसमस पर्व के बाद शादी विवाह की तैयारी शुरू हो जाती है. गुमला धर्मप्रांत के सभी 37 पल्लियों में शादी क्लास सोशल डिस्टैंस के तहत हो रहा है. जहां शादी के संबंध में कई बिंदुओं की जानकारी दी जा रही है. साथ ही शादी जोड़ों को क्रिसमस पर्व के अवसर पर प्रभु के गीत व भजन प्रस्तुत करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.

रिपोर्ट: जगरनाथ, गुमला.

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