गुमला : प्राचार्य डॉ शशि भूषण की निर्मम हत्या के बाद प्रभात खबर ने पूर्व प्राचार्य से कॉलेज के संचालन में होनेवाली परेशानी पर बात की है. सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य डॉ पी राम ने कहा कि मैं फरवरी 2003 से 30 जुलाई 2010 तक प्रभारी प्राचार्य था. उस समय छात्रावास के युवकों से हल्की समस्याएं आती थी.
हर व्यक्ति को काम संचालित करने का अपना तर्जुबा होता है. मुझे हल्की परेशानी आयी थी. लेकिन मैंने व्यवस्था संचालित कर दिया. कॉलेज परिसर में छात्रावास हटाने की जनता की मांग पर कहा कि सरकार की योजना से बनी है. सरकार चाहे तो हटा सकती है. इसमें मैं कोई बात नहीं कहूंगा. सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो लोतेम डुंगडुंग ने कहा कि 24 फरवरी 2011 को प्रभारी प्राचार्य का पद संभाला था. 31 अगस्त 2012 को सेवानिवृत्त हुआ हूं. इस डेढ़ वर्ष की अवधि में कुछ खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. यूथ विंग के द्वारा परेशानी खड़ी की जाती है.
यूथ विंग कॉलेज में किसी प्रकार की सुविधा के नाम पर निर्माण कार्य करना चाहते हैं, जो कि एक प्राचार्य के हाथ में नहीं होता है. प्राचार्य प्रस्ताव बना कर काउंसिल रांची को भेजता है. वहां से स्वीकृति के बाद कार्य शुरू होता है. श्री डुंगडुंग ने कहा कि मेरे कार्यकाल में एक बार साइंस संकाय में मारपीट की घटना हुई थी. छात्रों से पता चला कि पहले बेंच में कॉलेज छात्रावास का कब्जा रहता है. वहां कोई छात्र बैठ गया था. इसी को लेकर मारपीट हुई थी. जबकि घटना की जांच करने पर पता चला कि वहां बाहरी कॉलेज का विद्यार्थी क्लास रूम में घुसा हुआ था.
जिसे छात्रावास के लड़कों ने मारपीट कर भगा दिया था. वहीं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नंदलाल ने कहा कि एडवोकेट एक्ट के तहत हमें मुकदमा लेना है. हम इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं. केस आयेगा, तो वकील देखेंगे. एसोसिएशन के सचिव गिद्धवर अघन उरांव ने भी प्राचार्य डॉ शशि भूषण की हत्या की कड़ी निंदा प्रकट की. साथ ही प्रशासन से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की.