।। ओमप्रकाश चौरसिया ।।
गुमला : बिशुनपुर प्रखंड में निवास करनेवाले आदिम जनजाति असुर के लिए बिरसा आवास का निर्माण किया जा रहा था. पहली बरसात में ही आठ मकान ध्वस्त हो गये. प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2010-11 में बिशुनपुर प्रखंड के गुरदरी पंचायत के डीपाकुजाम गांव में आठ असुर जनजातियों क्रमश: सुखू असुर, बिरसी देवी, नेदी देवी, फगनी देवी, पाचो देवी, सालो देवी, दिनेश्वर असुर व मीना देवी है. इन आवास का निर्माण लाभुकों के द्वारा किया जाना था, लेकिन बिशुनपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने पंचायत सेवक व जनसेवक को अभिकर्ता बना दिया.
आदिम जनजाति युवा संघ के अध्यक्ष विमलचंद असुर ने आरोप लगाया है कि बीडीओ की लापरवाही के कारण आठ असुरों का आवास बनने से पूर्व ही धवस्त हो गया. पक्का मकान बनाने के स्थान पर मिट्टी से चार नंबर ईंट्ट की जोड़ाई की जा रही थी. इसकी शिकायत बीडीओ से की गयी थी, मगर बीडीओ ने किसी तरह का ध्यान नहीं दिया. इस घटना से आदिम जनजाति के लोग आक्रोशित हैं. इस मामले को लेकर 15 जुलाई 13 को एक बैठक हुई थी. जहां पर सभी लोगों ने कहा कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिये. इस मामले में जो भी लोग दोषी हैं, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो आदिम जनजाति के लोग चुप नहीं बैठेंगे. दोषियों पर कार्रवाई को लेकर गांव से लेकर प्रखंड, जिला व राज्य स्तर पर आंदोलन किया जायेगा. बैठक में निर्णय लिया गया है कि आदिम जनजातियों के नाम पर कागजी खानापूर्ति नहीं होने दिया जायेगा और पठारी क्षेत्र में जितनी भी योजनाएं ली गयी है, सभी की जांच करायी जायेगी. अगर जांच नहीं किया गया तो पूरे पठारी क्षेत्र में चक्का जाम कर दिया जायेगा.