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टूटे चेकडैम से खेतों में घुसा पानी, 20 किसानों के 25 एकड़ में लगी फसल बर्बाद

रायडीह प्रखंड की कोंडरा पंचायत स्थित कुसियाझरन व लोहराडेरा गांव का मामला

गुमला. प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे रायडीह प्रखंड की कोंडरा पंचायत अंतर्गत कुसियाझरन व लोहराडेरा गांव के ग्रामीणों ने उपायुक्त से कुसियाही नाला में चेकडैम बनवाने व गांव में बिजली सुविधा के लिए विद्युतीकरण कराने की गुहार लगायी है. इसको लेकर गांवों के ग्रामीण मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय पहुंचे थे. कुसियाझरन व लोहराडेरा गांव के बीच कुसियाही नाला होकर बहती है. उक्त नाला लगभग सात से 15 फीट तक चौड़ी है, जहां 20 साल पहले वर्ष 2005 में एक चेकडैम बनाया गया था. लेकिन घटिया निर्माण के कारण उक्त चेकडैम महज दो साल में ही ध्वस्त हो गया. इसके बाद हर साल बारिश के मौसम में बारिश होने के बाद नाला का पानी सीधे खेतों में घुस जाता है. इस बार काफी बारिश हुई. बारिश का पानी सीधे खेतों में घुस गया, जिससे दोनों गांवों के लगभग 20 ग्रामीणों के 25 एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद हो गयी. हालांकि खेतों में पानी के घुसने व फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा मिट्टी व पत्थर का मेढ़ बनाया जाता है. लेकिन इस बार अधिक बारिश से नाला में पानी के तेज बहाव में मेढ़ बह गया और पानी खेतों में घुस गया, जिससे किसानों की फसल बर्बाद हो गयी. खेतों में काफी बालू जमा हो गया है.

चार गांवों में नहीं हुआ है विद्युतीकरण : आज भी कुसियाझरन, लोहराडेरा, डोंगयारी व लोंगेपानी गांव की हजारी की आबादी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव आज भी विद्युतकरण से कोसों दूर है. ग्रामीणों ने बताया कि बिजली सुविधा नहीं होने से रात अंधेरे में गुजारनी पड़ती है. ग्रामीण इलाका होने के कारण बरसात के दिनों में रात में सांप व बिच्छू का भय बन रहता है. रात में गांव के बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि लगभग दो साल पहले गांव में सोलर पैनल लगाया गया है. लेकिन वह हमेशा खराब रहता है. बिजली नहीं होने से कृषि कार्य भी प्रभावित होता है. ग्रामीणों ने गांव में विद्युतीकरण कराने की मांग की.

नाला व बिजली गांव की दो प्रमुख समस्या : ग्रामीण

लोकनाथ बिंझिया, कामिल खड़िया, कहरू सिंह, सविता कुमारी, धर्मावती देवी, बबीता देवी आदि ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांवों में नाला व बिजली दो प्रमुख समस्या है. यदि दोनों समस्या दूर कर दी जाती है, तो गांव और गांव के लोगों का विकास होगा. ग्रामीणों ने बताया कि चेकडैम टूटने के बाद नाला में पानी इतना बहता है कि खेतों का स्वरूप बदल जाता है. खेत सिर्फ खेत न रहकर एक नदी की तरह बन जाता है, जिससे खेत भी बर्बाद हो रहा है. यदि नाला में चेकडैम बन जाता है, तो खेत व फसल बरबाद नहीं होंगे. इस प्रकार यदि गांव में विद्युतीकरण किया जाता है, तो कृषि कार्य से लेकर बिजली संबंधित हर काम में सुविधा होगी.

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Prabhat Khabar News Desk
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