अपने विधायक का नाम नहीं जानते हैं बेसनापाठ गढ़ाटोली गांव के लोग
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खटिया पर शव लेकर चार किमी पैदल चले
अपने विधायक का नाम नहीं जानते हैं बेसनापाठ गढ़ाटोली गांव के लोग चैनपुर(गुमला) : चैनपुर प्रखंड में बेसनापाठ गढ़ाटोली गांव है. दुर्गम व पहाड़ी इलाका है. चारों ओर जंगलों से घिरा गांव है. इसी गांव में दंपती भागवत असुर व जवाइन असुर की हत्या हुई है. दंपती की हत्या के बाद गांव गयी पुलिस को […]
चैनपुर(गुमला) : चैनपुर प्रखंड में बेसनापाठ गढ़ाटोली गांव है. दुर्गम व पहाड़ी इलाका है. चारों ओर जंगलों से घिरा गांव है. इसी गांव में दंपती भागवत असुर व जवाइन असुर की हत्या हुई है. दंपती की हत्या के बाद गांव गयी पुलिस को परेशानी झेलनी पड़ी, क्योंकि गांव तक गाड़ी ले जाने के लिए सड़क नहीं है. गांव की जो दुर्दशा है, वह बताती है कि आज भी इस क्षेत्र की आदिम जनजाति आदिम युग में जीने को विवश हैं. जंगल में खोजने के बाद शव मिला. शव को ग्रामीणों ने खटिया पर लिटाया. इसके बाद चार किमी पैदल चले. गांव के लोगों से समस्या पूछी गयी. ग्रामीणों ने कहा कि हम लोग हर रोज इसी प्रकार चलते हैं.
यह कोई नयी बात नहीं है. बस अंतर यह है कि आज हम लोग कंधे व खटिया पर शव लेकर जा रहे हैं. अन्य दिनों में हम अपनी जीविका के लिए सब्जी, लकड़ी व अन्य सामान कंधा में लाद कर बाजार ले जाते हैं. ग्रामीणों ने कहा: हमारे क्षेत्र का विधायक कौन है, उसे हम नहीं जानते हैं. न ही कभी नाम सुना है. आदिम जनजाति परिवार के लोगों ने कहा कि चुनाव होता है, तो हम जरूर वोट देते हैं. लेकिन कभी हमारे गांव की दुर्दशा पर किसी को तरस नहीं आया.
सड़क तो दूर, इस गांव में पानी व बिजली की भी व्यवस्था नहीं है. सरकारी सुविधा के नाम पर स्कूल है. वह भी जैसे-तैसे चल रहा है. मृतक के छोटे भाई लधुवा असुर ने बताया कि हम किसी प्रकार जी रहे हैं. हमारे भाई व भाभी की हत्या हो गयी. पहले से दुखी हैं, ऊपर से शव को खटिया पर लेकर चलना पड़ रहा है. उन्होंने अपने भाई व भाभी के सात बच्चों की परवरिश के लिए प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है.
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