जीवन की दूसरी पारी में सक्रिय होकर समाज सेवा का मार्ग चुनने वाले लोगों की कमी नहीं है. उम्र के अंतिम पड़ाव में भी कई ऐसे प्रेरणादायक व्यक्ति हैं, जिन्होंने आराम को त्याग कर समाज के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया. चाहे राह कठिन रही हो या संसाधनों की कमी, इनकी निष्ठा और समर्पण ने न केवल समाज में नयी चेतना जगायी, बल्कि आने वाली पीढ़ी को एक मजबूत संदेश भी दिया कि सेवा का कोई निर्धारित समय नहीं होता. ठाकुरगंगटी क्षेत्र में भी कई ऐसे समर्पित चेहरे हैं, जो निस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए कार्य कर रहे हैं. ऐसे ही प्रेरणादायक व्यक्तित्वों पर आधारित प्रतिनिधि पवन कुमार ठाकुर की रिपोर्ट….
सेवानिवृत्त विश्वनाथ मंडल समाज और कृषि विकास के प्रेरक बने
महुआरा गांव निवासी विश्वनाथ मंडल वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त होने के बाद से गांव में रहकर समाज सेवा में जुटे हुए हैं. सेवानिवृत्ति के कुछ समय बाद ही उन्होंने सामाजिक जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्यों की ओर रुख किया. वे लगातार समाज के हर वर्ग के लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हैं और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है. उन्होंने ग्रामीणों को बागवानी योजना सहित आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रति प्रेरित किया है. श्री मंडल का मानना है कि अच्छी खेती के लिए मेहनत और लगन आवश्यक है. उनका शुरू से ही कृषि के प्रति विशेष लगाव रहा है, जिसे उन्होंने समाज कल्याण से जोड़ दिया. उनकी यह पहल गांव में सकारात्मक परिवर्तन ला रही है और युवा पीढ़ी को भी प्रेरित कर रही है.उन्नत खेती के प्रेरणा स्रोत बना सेवानिवृत्त शिक्षक राम साह
मोरडीहा गांव निवासी 75 वर्षीय राम साह वर्ष 2013 में शिक्षक पद से सेवा निवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद भी वे सक्रिय जीवन जीते हुए गांव और आस-पास के लोगों को उन्नत खेती की दिशा में मार्गदर्शन दे रहे हैं. वे स्वयं भी खेती के प्रति बचपन से ही रुचि रखते थे, जिसे अब समाज सेवा का माध्यम बना लिया है. श्री साह गांव के किसानों को आधुनिक तकनीकों, समय पर बुआई, फसल की देखभाल और सिंचाई की महत्ता के बारे में जागरूक करते हैं. उनका मानना है कि यदि सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो, तो किसान बेहतर उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं. इसके साथ ही वे युवाओं के बीच शिक्षा के महत्व पर भी जोर देते हैं और उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रेरित करते हैं. राम साह का यह योगदान न केवल खेती, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी ग्रामीण समाज को सशक्त बना रहा है.
शिक्षा जागरूकता के बने प्रतीक सेवानिवृत्त शिक्षक अर्जन साह
मोरडीहा गांव निवासी अर्जन साह वर्ष 2011 में शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका शिक्षा के प्रति समर्पण कम नहीं हुआ. आज भी वे अपने गांव में रहकर समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं. श्री साह का मानना है कि शिक्षा के बिना कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता. वे निरंतर गांव के युवाओं और युवतियों को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं तथा उनके साथ ज्ञानवर्धक बातें साझा करते हैं, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके. हर घर के सदस्य तक शिक्षा पहुंचे, इसके लिए वे प्रयासरत हैं. अर्जन साह का यह निस्वार्थ योगदान समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है. उनकी यह लगन नयी पीढ़ी को शिक्षा की ओर अग्रसर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

