ठाकुरगंगटी के प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय के पास अपना भवन नहीं है और यह अस्पताल लोहिया भवन में संचालित किया जा रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस भवन की स्थिति बेहद जर्जर हो चुकी है और यह लगभग खंडहर में तब्दील हो गया है. भवन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह अस्पताल नहीं, बल्कि कोई गौपालक केंद्र है. वर्ष 1994 से यहां लोहिया भवन में पशु चिकित्सालय चल रहा है, लेकिन इसमें किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. शौचालय होने के बावजूद पानी का अभाव है, दरवाजे और खिड़कियां टूट चुकी हैं. भवन में बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. चारों ओर जंगल होने के कारण भवन की स्थिति भयावह बनी हुई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सक पदस्थापित हैं, लेकिन वे समय पर नहीं आते हैं. बोर्ड पर अस्पताल का समय सुबह 9 बजे से शाम 3 बजे तक अंकित है, लेकिन दरवाजे पर हमेशा ताला लटका रहता है. सोमवार को दोपहर में जब भवन की तस्वीर ली गयी, तब मुख्य दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. ठाकुरगंगटी गोड्डा जिले का सुदूरवर्ती प्रखंड है, जहां अधिकांश लोग पशुपालन करते हैं. लेकिन जब मवेशियों को बीमार होने पर दवा या उपचार की आवश्यकता होती है, तो उन्हें निजी चिकित्सक से दवाई लेनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि ठंड के मौसम में पशु अधिक बीमार होते हैं और जर्जर अस्पताल के कारण समय पर इलाज नहीं मिल पाता. स्थानीय लोगों ने कहा कि वरीय पदाधिकारियों का कभी भी इस जर्जर अस्पताल की ओर ध्यान नहीं जाता, जिससे पशुपालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है और लोगों में नाराजगी बढ़ रही है.
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