गोड्डा जिले में कड़ाके की सर्दी ने लोगों के साथ-साथ पालतू और बेजुबान जानवरों की परेशानी भी बढ़ा दी है. अधिकांश किसानों के पशु छप्पर या पेड़ की छाया में ही बंधे रहते हैं. दिन के समय धूप से थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन रात में ठंड से पशु और किसान दोनों प्रभावित होते हैं. पशु चिकित्सक डॉ. दिलीप कुमार मंडल ने बताया कि ठंड के मौसम में पशुओं के आवास और खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. पशुशाला के दरवाजे और खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षा सुनिश्चित करें. जहां पशु विश्राम करते हैं वहां पुआल, भूसा और पेड़ों की पत्तियां बिछाना आवश्यक है. ठंडे चारे और दाने देने से बचें. पशुओं को अधिक मात्रा में सरसों की खल्ली और हरा चारा खिलाना चाहिए.
पालतू पशुओं में बढ़ी बीमारियों की आशंका
कड़ाके की ठंड के कारण पालतू पशुओं में बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. कोल्ड डायरिया, बुखार, दस्त और लीवर संबंधित बीमारियां आम हो रही हैं. डॉ. मंडल ने कहा कि पर्याप्त देखभाल और खानपान की सावधानी से इन मौसमी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है. ठंड अधिक होने पर गाय और बकरियों में लीवर फ्लू की बीमारी पनपती है, जिससे गले में सूजन, सामान्य और खूनी दस्त की समस्या होती है. प्रारंभिक उपचार के लिए जिराएलएफ नामक दवा उचित मात्रा में एक बार देना फायदेमंद होता है. इसके अलावा बकरी और भेड़ों में पीपीआर (विषाणु जनित) रोग संक्रामक होता है. संक्रमण के एक सप्ताह के भीतर यह जानवर की मृत्यु का कारण बन सकता है. इसलिए पशुपालकों को अपने जानवरों का समय पर पीपीआर वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है. डॉ. मंडल ने पशुपालकों से अपील किया कि पशुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतें, ताकि सर्दी के मौसम में उनके जानवर स्वस्थ रहें और दूध उत्पादन प्रभावित न हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

