श्री शाकंभरी सेवा समिति गिरिडीह की ओर से स्थानीय श्री श्याम मंदिर प्रांगण में शाक भवानी माता शाकंभरी का 14वां वार्षिक उत्सव सह माता का प्राकट्य दिवस समारोह आयोजित किया गया. इसमें भव्य दरबार, मनमोहक श्रृंगार, अखंड ज्योत, 251 महिलाओं द्वारा मंगलपाठ, मेंहदी, गजरा, चुनड़ी उत्सव, भजन संध्या, छप्पन भोग, महाप्रसाद आदि कार्यक्रम आयोजित किये गये. इसमें प्रसिद्ध कलाकारों आकाश-परिचय ने मैयाजी का गुणगान किया.
दुर्गा देवी का नामकरण
जानकारी के अनुसार पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार धरती पर दुर्गम नामक महादैत्य ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर व चारों वेदों का स्वामित्व प्राप्त कर बैठा. फलत: सभी धार्मिक और वैदिक क्रियाओं का फल उसे मिलने लगा और देवताओं की शक्ति पूर्ण रूप से मध्यम हो गयी. इस कारण संपूर्ण सृष्टि अकालग्रस्त हो गयी और 100 वर्षों तक वृष्टि नहीं हुई. इस कारण चारों तरफ हाहाकार मच गया. तब देवताओं और ऋषि मुनियों के आह्वान पर आदिशक्ति जगदंबा ने शताक्षी रूप में प्रकट हो कर अपने 100 नेत्रों से अश्रु बहाकर वृष्टि करवायी. फिर शाकंभरी का रूप धर कर अपने भक्तों की क्षुधा मिटायी. इसी रूप में माता ने दुर्गम महादैत्य का वध किया था. इसके बाद उनका नाम दुर्गा देवी प्रचलित हुआ. कार्यक्रम को सफल बनाने में अमित छापरिया, विनोद खंडेलवाल, सुधीर गोयल, दीपक शर्मा, दीपक चिरानिया, सुनील अग्रवाल, आरती छापरिया, सोनी गोयल, पूनम चिरानिया आदि का योगदान रहा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है