गांडेय प्रखंड क्षेत्र के आदिवासी बहुल बरमसिया टू में कार्यक्रम का आयोजन कर बाहा पर्व मनाया गया. नेतृत्व मांझी हड़ाम रामदास टुडू ने किया. इसके पूर्व मांझी हड़ाम व नायके बाबा के सानिध्य में जाहेर थान में पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना की गयी. इसके बाद आदिवासी महिला-पुरुष नृत्य करते हुए पर्व मनाया. बताया कि सभी समाज अपने अपने तरीकों से होली का त्योहार मनाते हैं, लेकिन आदिवासियों की परंपरा इससे सबसे अलग और अनोखी है. होली से एक दिन पूर्व आदिवासी समाज बाहा पर्व मनाता है. संताली आदिवासियों में इस पर्व का विशेष महत्व है. मांझी हड़ाम रामदास टुडू ने बताया कि आदिवासी प्रकृति पूजक होते हैं. इस मौसम में वृक्षों पर नये पत्ते, फूल, मंजर और फल लगते हैं. बाहा पर्व तक पूरे फाल्गुन माह संताल ना तो नये फूल खाते हैं ना ही फल. कहा कि आदिकाल से ही संताल समाज का जुड़ाव प्रकृति के साथ रहा है. वह उन्हें ही भगवान मानकर पूजा करते हैं. बालेश्वर हांसदा ने कहा कि बाहा पर्व हमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है. पर्यावरण के साथ जुड़कर रहने की जरूरत है. कार्यक्रम के सफल आयोजन में रामजीत मुर्मू, हीरा लाल मुर्मू, रमेश मुर्मू, शिवाजी मुर्मू, जीत लाल मरांडी, महेंद्र टुडू, राजकुमार मरांडी, सुशील मुर्मू, चरण मुर्मू, संजू मुर्मू, जागेश्वर मरांडी, बिनोद हांसदा, सुधीर टुडू, ढेना टुडू, मुन्ना मरांडी समेत अन्य मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

