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Giridih News :नक्सली प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद प्रयाग ने संभाली थी पारसनाथ की कमान

Giridih News :गिरिडीह का पारसनाथ पर्वत नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता है. यही कारण है कि इस पारसनाथ पर्वत पर न सिर्फ नक्सलियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली व संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बॉस ने दो वर्ष पूर्व अपना ठिकाना यहीं बना लिया था. जबकि एक करोड़ रुपये के इनामी सह नक्सली संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के अलावा कई दर्जनों इनामी नक्सलियों का भी यह पर्वत सबसे सुरक्षित ठिकाना था.

कई राज्यों में संचालित कर रहा था संगठन की गतिविधि

गिरिडीह का पारसनाथ पर्वत नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता है. यही कारण है कि इस पारसनाथ पर्वत पर न सिर्फ नक्सलियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली व संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बॉस ने दो वर्ष पूर्व अपना ठिकाना यहीं बना लिया था. जबकि एक करोड़ रुपये के इनामी सह नक्सली संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के अलावा कई दर्जनों इनामी नक्सलियों का भी यह पर्वत सबसे सुरक्षित ठिकाना था. हालांकि, वर्ष 2023 में जब नक्सलियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस और उनकी पत्नी पारसनाथ से निकलकर चाईबासा की ओर जा रहे थे, इसी दौरान पुलिस ने इन दोनों नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया था. प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन में मानो भूचाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और दोनों नक्सलियों के गिरफ्तारी के विरोध में नक्सली संगठन ने विरोध प्रदर्शन करते हुए दर्जनों नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस प्रशासन को चुनौती देने का काम किया था.

दो वर्षों से प्रयाग मांझी पारसनाथ इलाका में किये हुए था कैंप

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन की कमान एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी और विवेक दा के जिम्मे सौंप दी गई थी. प्रयाग मांझी दा उर्फ विवेक दा वैसे तो धनबाद जिले के टुंडी के दल बूढ़ा गांव का रहने वाला था, लेकिन उसके जिम्मे पूरे नक्सली संगठन की कमान थी. गिरिडीह के पारसनाथ पर्वत का भी कमान प्रयाग मांझी और विवेक दा के जिम्मे था. पारसनाथ की कमान संभालने के बाद प्रयाग मांझी उर्फ़ विवेक दा जून 2023 में पारसनाथ पर्वत पहुंचा था और यहां नक्सली संगठन के कई बड़े नेताओं के साथ बैठक कर संगठन को मज़बूत करने में जुट गया था.

बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में बोलती थी तूती

भाकपा माओवादी संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा उर्फ फुचना उर्फ नागो मांझी उर्फ करण दा पर एक करोड़ का ईनाम था. यह माओवादी संगठन का सबसे चालाक और बड़ा नक्सली था. इसकी तूती न सिर्फ झारखंड बल्कि बिहार, छतीसगढ़ से लेकर ओडिशा तक बोलती है. यही कारण है कि पारसनाथ में नक्सलियों की कमर टूटते देख संगठन ने विवेक दा के कंधों पर पारसनाथ की कमान सौंपी गयी थी.

कौन-कौन रहता था विवेक दा के साथ

जानकारी के अनुसार प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के साथ में कई अन्य बड़े-बड़े इनामी नक्सली भी साथ रहते थे. जिसमें मुख्य रूप से नक्सली परवेज मांझी उर्फ अनुज दा, अरविंद यादव उर्फ नेताजी, हार्डकोर नक्सली नारायण कोड़ा समेत कई नक्सली शामिल थे. इन नक्सलियों के पास एके 47 और इंसास समेत कई हथियार भी रहते थे. इन दस्ते में करीब 50 से अधिक नक्सली शामिल रहते थें. जिसमें एक दर्जन की संख्या में महिला नक्सली भी शामिल रहती थी.

कहां का रहने वाला था विवेक दा

एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा वैसे तो धनबाद जिले के टुंडी के दलबुढ़ा का रहने वाला था, लेकिन यह न सिर्फ पारसनाथ पर्वत बल्कि इसके अलावा छतीसगढ़, झुमरा, बिहार से लेकर बंगाल तक में रह चुका हथा और संगठन के लिए वर्षों से काम करते हुए आ रहा था. विवेक दा के खिलाफ सिर्फ गिरिडीह जिले में ही 50 से अधिक मामले दर्ज है. (राकेश सिन्हा, गिरिडीह)

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