ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय खंडहर का रूप ले चुका है, जहां बच्चों का सुरक्षित रहना मुश्किल है. विद्यालय में सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों की कमी है. वर्तमान में विद्यालय में इतने कम शिक्षक हैं कि कक्षाओं को अलग-अलग संचालित करना संभव नहीं हो पा रहा है.
दो कमरों में होती है कक्षा आठ तक की पढ़ाई
विद्यालय की स्थिति यह है कि दो कमरों में एक से आठ तक के बच्चे बैठते हैं. कक्षा आठ की छात्राएं बताती हैं कि विषयवार पढ़ाई नहीं हो पाती, जिससे उन्हें परीक्षा के समय परेशानी होती है. बच्चों का कहना है कि स्कूल में शिक्षक होते भी हैं, तो वे कई कक्षाओं को एक साथ संभालने में असमर्थ रहते हैं. विद्यालय भवन की स्थिति भी काफी खराब हो चुकी है. भवन की खिड़कियां और दरवाजे पूरी तरह टूट चुके हैं. कई कमरों की दीवारें फट चुकी हैं. इससे बरसात के समय छत से पानी रिसने लगता है. विद्यालय में बेंच-डेस्क की भारी कमी है. यदि 60 से 70 बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं तो ज्यादातर बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. गर्मी के दिनों में यह स्थिति और भी कठिन हो जाती है. स्कूल की एक छात्रा ने बताया कि बरसात के दिनों में छत से टपकते पानी के बीच पढ़ाई करना लगभग असंभव हो जाता है. कई बार स्कूल के कमरे पानी से भर जाते हैं, जिससे बच्चों को दूसरे कमरे में या बरामदे में बैठना पड़ता है.
पानी की भी नहीं है व्यवस्था
बच्चों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इसके अलावा, स्कूल के शौचालय का दरवाजा टूटा हुआ है, जिससे छात्र-छात्राओं को उपयोग करने में परेशानी होती है. स्कूल परिसर में चहारदीवारी नहीं होने से सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं. विद्यालय के पास पर्याप्त जमीन नहीं होने के कारण चारों ओर घेराबंदी नहीं की जा सकी है. इससे बाहरी लोगों और जानवरों का स्कूल परिसर में प्रवेश आम हो गया है. विद्यालय के शिक्षक कुंजबिहारी महतो ने बताया कि विद्यालय की समस्याओं और शिक्षकों की कमी को लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन भी तक कोई पहल नहीं हुई है. ग्रामीणों और अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से विद्यालय की स्थिति सुधारने की मांग की है.
क्या कहते हैं प्रधानाचार्य
प्रधानाचार्य विनोद कुमार ने भी कहा कि विद्यालय में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वह कई बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन विद्यालय की स्थिति में अब तक सुधार नहीं हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

