गावां के पशु चिकित्सालय की स्थिति काफी खराब है. केंद्र इस समय अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है. यहां पशु चिकित्सक रामकृष्ण बाउरी को बीएचओ व टीवीओ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. उन पर चार प्रखंडों का प्रभार है. इसके कारण वह सप्ताह में एक दिन ही यहां सेवा दे पा रही है. यहां अनुबंध पर तीन कर्मियों को रखा गया है. 1962 एंबुलेंस की व्यवस्था की गयी है, जिससे विशेष परिस्थिति में पशुओं का इलाज किया जाता है. हालांकि, इसकी जानकारी इस समय क्षेत्र के लोगों को नहीं है. इसके कारण वह इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं. स्थायी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं होने से पशुपालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
अधिकांश किसान करते हैं पशुपालन
17 पंचायतों वाले गावां प्रखंड में अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं. वह कृषि के साथ पशुपालन भी करते हैं. यहां लोग बकरी ,भेड़, सुअर आदि भी रखते हैं. उनकी तबीयत बिगड़ने पर इलाज का साधन नहीं होने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दो माह पूर्व क्षेत्र में पशुओं में फैली लंपी बीमारी से कई पशुओं की मौत हो गयी. कर्मियों के नहीं रहने से प्रखंड का पशु चिकित्सालय वीरान अवस्था में पड़ा रहता है. कर्मियों का आवास जर्जर होकर झाड़ियों से ढंक गया है. यहां के किसान वर्षों से स्थायी पशु चिकित्सक की नियुक्ति की मांग करते रहे हैं, बावजूद यहां चिकित्सकों व कर्मियों की नियुक्ति नहीं होने से लोगों में आक्रोश है.पशुओं के इलाज में काफी परेशानी होती है
गावां कृषि प्रधान प्रखंड है. यहां स्थायी चिकित्सक व कर्मियों की नियुक्ति की जानी चाहिये. चिकित्सक के नहीं रहने से लोगों को पशुओं के इलाज में काफी परेशानी होती है. उन्हें फिर झोला छाप चिकित्सक से इलाज करवाना पड़ता है. वह संबंधित मंत्रालय में चिकित्सक की मांग को ले पत्राचार करेंगे. – अजय सिंह, प्रखंड अध्यक्ष, झामुमो
चिकित्सक के अभाव में पशुओं का समुचित इलाज व टीकाकरण नहीं हो पाताप्रखंड की लगभग सभी पंचायतों में काफी संख्या में लोग पशुपालन करते हैं. चिकित्सक के अभाव में पशुओं का समुचित इलाज व टीकाकरण नहीं हो पाता है. इलाज के अभाव में असमय उनकी मौत हो जाती है. मामले को जिप की बैठकों में भी उठा चुके हैं. अब आंदोलन किया जायेगा. – पवन चौधरी, जिप सदस्य.I
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

