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Giridih News: जामताड़ा का आफताब और देवघर का परवेज निकला गिरोह का मास्टरमाइंड

Giridih News: गिरिडीह साइबर थाना पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए पांच शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. गुरुवार को गिरिडीह के एसपी डॉ. विमल कुमार ने अपने कार्यालय में प्रेस वार्ता कर पूरे मामले की जानकारी दी. गिरफ्तार अपराधियों में जामताड़ा जिला के कर्माटांड़ थाना क्षेत्र के बरमुंडी निवासी आफताब अंसारी (26 वर्ष), देवघर जिला के बुढ़ई थाना क्षेत्र के दुलामपुर निवासी परवेज अंसारी (24 वर्ष) एवं तबरेज अंसारी (20 वर्ष), वहीं बेंगाबाद थाना क्षेत्र के दिघरिया गांव निवासी तफाजुल अंसारी और चपुआडीह निवासी नियाज अंसारी शामिल हैं.

एसपी ने बताया कि बुधवार को प्रतिबिंब पोर्टल के माध्यम से उन्हें सूचना मिली थी कि गांडेय थाना क्षेत्र के बगरा रेलवे ओवरब्रिज के समीप बालीडीह फुटबॉल मैदान के पास कुछ युवक साइबर ठगी की योजना बना रहे हैं. सूचना को गंभीरता से लेते हुए साइबर थाना प्रभारी रामेश्वर भगत के नेतृत्व में एक विशेष छापेमारी टीम का गठन किया. इसके बाद टीम ने घेराबंदी करते हुए छापेमारी की और सभी आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया. छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड और पासबुक बरामद किए हैं, जिनका इस्तेमाल ऑनलाइन ठगी में किया जाता था. प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में बैंकिंग फ्रॉड, लोन स्कैम, और केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी करने की बात कबूल की है.

गिरिडीह में तैयार कर रहे थे साइबर ठगी का नया गिरोह

गिरफ्तार पांच साइबर अपराधियों में से दो की पहचान गिरोह के मुख्य सरगना के रूप में हुई है. मिली जानकारी के अनुसार जामताड़ा जिला के कर्माटांड़ थाना क्षेत्र के बरमुंडी निवासी आफताब अंसारी और देवघर जिला के बुढ़ई थाना क्षेत्र के दुलामपुर निवासी परवेज अंसारी इस पूरे नेटवर्क के मास्टरमाइंड हैं. यही दोनों अपराधी पूरे गिरोह को संचालित करते थे और अपने साथियों को साइबर ठगी के नए-नए तरीके सिखाते थे. बताया गया की अपने-अपने जिलों में पुलिस की बढ़ती सख्ती और लगातार हो रही छापेमारी के कारण दोनों अपराधी गिरिडीह आकर यहां नया ठिकाना बना लिए थे. यहां पहुंचने के बाद उन्होंने स्थानीय युवकों को अपने गिरोह में शामिल किया और उन्हें फर्जीवाड़े की ट्रेनिंग देना शुरू किया. धीरे-धीरे गिरिडीह उनके नए नेटवर्क का केंद्र बन गया, जहां से राज्य के कई जिलों में साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा था. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि आफताब और परवेज दोनों लंबे समय से साइबर अपराध की दुनिया में सक्रिय थे. ठगी के दौरान वे फर्जी सिम कार्ड, बैंक खाते और वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल करते थे, ताकि पहचान छिपाई जा सके. दोनों ने अबतक कई लोगों को लाखों रुपये की चपत लगाई है. गिरिडीह साइबर थाना पुलिस अब उनके बैंक ट्रांजेक्शन, मोबाइल डेटा और जब्त डिजिटल उपकरणों की गहन जांच कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके. पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में दोनों अपराधियों ने अपने अपराध की बात कबूल की है और कई नए नामों का खुलासा किया है. गिरिडीह पुलिस अब उन सभी तक पहुंचने के लिए विशेष टीम गठित कर रही है.

व्हाट्सऐप पर भेजते थे बैंक और सरकारी योजना के नाम से लिंक, ओटीपी लेकर उड़ाते थे पैसे

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए बेहद चालाक और योजनाबद्ध तरीका अपनाते थे. यह गिरोह आम लोगों को उनके मोबाइल व्हाट्सऐप पर कई तरह की फर्जी एपीके फाइलें भेजता था, जिनके नाम बिल्कुल असली बैंक या सरकारी ऐप जैसे रखे जाते थे ताकि लोग धोखा खा जाएं. मिली जानकारी के अनुसार अपराधियों द्वारा भेजी जाने वाली प्रमुख फाइलों में एसबीआई क्रेडिट कार्ड अपडेट एपीके, आरटीओ ई-चालान एपीके, आरबीएल क्रेडिट कार्ड अपडेट एपीके, पीएम किसान योजना एपीके और योनो एसबीआई बैंक एपीके शामिल थीं. इन फर्जी फाइलों को देखकर लोगों को यह लगता था कि ये बैंक या सरकारी एजेंसी की असली फाइलें हैं और इसी भरोसे में वे इसे अपने फोन में डाउनलोड कर लेते थे. फाइल डाउनलोड करते ही आरोपियों के लिए रास्ता खुल जाता था. ये फाइलें मोबाइल में नकली बैंक लॉगिन या केवाईसी पेज खोल देती थीं, जहां लोग अपनी जानकारी और ओटीपी दर्ज कर देते थे. अपराधी खुद को बैंक अधिकारी बताकर कॉल या मैसेज करते थे और कहते थे कि आपका केवाईसी अपडेट नहीं हुआ है, नहीं करेंगे तो खाता बंद हो जाएगा. इसके बाद जैसे ही पीड़ित ओटीपी बताता, अपराधी एयरटेल पेमेंट बैंक समेत अन्य खातों से तुरंत रुपये ट्रांसफर कर लेते थे. पुलिस अधिकारियों के अनुसार ठगों ने इसके लिए फर्जी सिम कार्ड, बैंक खाते और वर्चुअल नंबरों का जाल बिछा रखा था ताकि उनकी पहचान ट्रेस न की जा सके. साइबर थाना पुलिस ने बताया कि यह गिरोह केवल फाइल भेजने तक सीमित नहीं था ये लोग खुद को बैंक या बीमा कंपनी का अधिकारी बताकर कॉल करते थे, सरकारी लाभ या चालान निपटाने के नाम पर लोगों को भरोसे में लेते थे और फिर फर्जी एपीके फाइल भेजकर उनका खाता खाली कर देते थे.

बरामद सामग्री व छापेमारी दल में शामिल अधिकारी

पुलिस ने बताया कि अपराधियों के पास से कुल 12 मोबाइल फोन, जिनमें 3 आईफोन शामिल हैं और 15 सिम कार्ड जब्त किए गए हैं. सभी मोबाइल और सिम कार्ड का इस्तेमाल ठगी की घटनाओं को अंजाम देने में किया जा रहा था. इनमें कई ऐसे सिम कार्ड भी हैं. पुलिस ने बताया कि बरामद मोबाइलों की तकनीकी जांच की जा रही है, जिसमें कई फर्जी बैंकिंग एप, वर्चुअल नंबर और डिजिटल वॉलेट से जुड़े डेटा मिलने की संभावना है. छापेमारी अभियान का नेतृत्व साइबर थाना प्रभारी रामेश्वर भगत ने किया. दल में इंस्पेक्टर चंद्रनाथ उरॉव, एसआई पुनित गौतम, एसआई गुंजन कुमार, एएसआई संजय मुखियार सहित पुलिस लाइन से उपलब्ध सशस्त्र बल शामिल थे.

किसी भी सूरत में साइबर अपराधियों को नहीं बख्शा जायेगा : एसपी

एसपी डॉ विमल कुमार ने कहा कि गिरिडीह पुलिस ने साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है. इसी अभियान के तहत जिलेभर में लगातार छापेमारी और निगरानी की कार्रवाई चल रही है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध में लिप्त किसी भी व्यक्ति को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा. बताया कि पुलिस की टेक्निकल टीम और साइबर थाना की विशेष इकाई लगातार संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रही है. गिरफ्तार अपराधियों में शामिल जामताड़ा और देवघर के दो मुख्य सरगनाओं के मोबाइल फोन की बारीकी से जांच की जा रही है. जांच का मकसद यह पता लगाना है कि उन्होंने अबतक किन-किन लोगों को ठगी का शिकार बनाया है और उनके गिरोह में और कौन-कौन लोग सक्रिय हैं.

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