वर्ष 1897 से हो रही पूजा-अर्चना
बगोदर प्रखंड के खेतको में श्रीश्री रामनवमी दुर्गा मंदिर में चैती दुर्गापूजा 1897 से हो रही है. यहां वैष्णव तरीके पूजा होती है. नौ दिनों तक माता दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. सप्तमी को माता का दरबार खुलता है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां 1897 से प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. पूजा आरंभ को लेकर एक किंवदंती है. बताया जाता है कि गांव में महामारी फैली थी. उस समय गांव के मगन धोबी को माताजी ने स्वप्न दिया था कि चैती दुर्गापूजा करने से राहत मिलेगी. इसके बाद उन्होंने तीन वर्षों तक अकेले पूजा की. तीन वर्ष बाद उन्होंने अकेले पूजा करने में असमर्थता जतायी, तो ग्रामीणों ने प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू कर दी. शुरुआती दौर कपड़े की घेराबंदी करके पूजा की जाती थी. धीरे- धीरे ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण किया गया. एक दशक पूर्व चैती दुर्गा मंडप का निर्माण पूरा हुआ. इसके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य रूप दिया गया. परिसर में हनुमान मंदिर भी है.रामनवमी पर निकलता है जुलूस
यहां जागरण के साथ दो दिनों तक मेला लगता है. मेला देखने के लिए बगोदर के अलावा विष्णुगढ़ प्रखंड से ग्रामीणों की भीड़ जुटती है. पूजा अर्चना कमेटी सदस्यों के सहयोग से किया जा रहा है. इसके साथ ही रामनवमी के दिन महावीरी झंडे के साथ जुलूस निकाला जाता है, जो पूरे गांव का भ्रमण करते हैं. एकादशी को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन को लेकर शोभा यात्रा निकाली जाती हैं. मेला में इस वर्ष झूला, मौत का कुआं, तरामाची समेत मीना बाजार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

